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Amrit Anand

सकारात्मक विचारों में अतुल्य-ऊर्जा, शुभता और अनन्त-सामर्थ्य समाहित है: स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - सकारात्मक विचारों में अतुल्य-ऊर्जा, शुभता और अनन्त-सामर्थ्य समाहित है। जिस प्रकार सूर्य के उदय होते ही अंधकार का निर्मूलन हो जाता है, उसी

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स्वयं के रूपान्तरण के प्रति सजग रहें: स्वामी अवधेसानंद जी

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - जीवन की श्रेष्ठता सदगुण-संचयन एवं आध्यात्मिक अन्त:करण निर्मिती में निहित है करुणा, परदुःखकातरता, आचरण की शुचिता, अक्रोध-अलोभ वृत्ति और

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वैदिक चिंतन से ही होगा धरती का संरक्षण : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - धरा भगवद् भार्या है। शुद्ध वायु-जल, प्रकाश रश्मि एवं अन्यान्य अवयवों के संतुलन से ही धरा में विद्यमान जीवन तत्व की रक्षा की जा सकती है। प्रत्येक

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मनुष्य की निजता एवं अस्तित्व देह से सर्वथा पृथक है : स्वामी अवधेसानंद जी

ज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मनुष्य की निजता एवं अस्तित्व देह से सर्वथा पृथक है, अतः मृत्यु जीवन यात्रा का अवसान नही, अपितु नवजीवन के आरंभ की भूमिका है ! स्वयं के अविनाशी-स्वरूप

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कलयुग में हनुमान जी के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होता : स्वामी अवधेसानंद जी

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - जिन की कृपा और आशीष-अनुग्रह से दुर्गम सुगम, असाध्य साध्य और असंभव संभव बन जाता है; ऐसे संकटमोचक मोक्ष-प्रदाता महादेव श्रीहनुमान जी के प्राकट्य

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सफलता तीन बातों पर निर्भर होती है – श्रद्धा, ज्ञान और क्रिया : स्वामी अवधेसानंद जी

ज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - जैन घर्म के पंचशील सिद्धांत-अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य का प्रतिपादन कर मानव मात्र के लिए "आत्म-कल्याण" का मार्ग प्रशस्त करने वाले

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असहाय एवं जरूरतमंद की सहायता करना ही सिख धर्म का परम कर्तव्य है: स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - नववर्ष-नवाचार नई फसल एवं चेतना के नवोत्थान के रूप में लोकमानस में प्रख्यात वैशाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ! वैशाखी का पावन पर्व सर्वथा

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जो राष्ट्र का मंगल करें, वही राम है : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - आप्तकाम, पूर्ण-काम, निष्काम कोदंड-पिनाकधारी प्रभु श्रीराम का प्राकट्य दिवस "श्रीराम नवमी" कल्याणकारी एवं शुभ सिद्ध हो ..! प्रभु श्रीराम के दिव्य

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प्रेम और धन्यता में जीना ही वास्तविक जीना है : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - जिस प्रकार सागर के पास सरितायें और सुरभित-पल्लवित पुष्पों के समीप भ्रमर-समूह स्वतः स्फूर्त चले आते हैं, उसी प्रकार आध्यात्मिक अन्त:करण संपन्न साधक

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यह देह देवालय, शिवालय है : स्वामी अवधेसानंद जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम् ...। मानवीय-काया ईश्वरीय उपहार है, इसलिए शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य रक्षण मनुष्य की प्राथमिकता होनी चाहिये।

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