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Amrit Anand

जो व्यक्ति अपनी ज्यादा प्रशंसा सुनना पंसद करता है, वह कभी ऊंचाई नहीं छू पाता: स्वामी अवधेशानन्दं जी…

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - अनुशासन जीवन लक्ष्य-सिद्धि में सहायक उपक्रम है। जिस प्रकार सागर तक पहुँचने के लिए सरिताओं में निश्चित लय-गति, प्रवाहमानता एवं तटों का

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श्रद्धा का परिणाम सदैव शुभदायक और मंगलकारी होता है: स्वामी अवधेसानंद जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - श्रेष्ठ, महनीय और सद्गुण-सम्पन्न जीवन एक सुन्दर-सुविकसित उद्यान की भांति है, इसकी सिद्धि और साकारता के लिए श्रद्धा-विश्वास रूपी खाद-बीज,

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अभ्यास से संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - सत्संग-स्वाध्याय और अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ जीवन सिद्धि के सहज साधन हैं ! मनुष्य जीवन ईश्वर का अमूल्य उपहार है, इसका प्रत्येक पल महनीय और अनन्त

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जब शरीर चंचल और मन स्थिर हो कार्य तभी सम्पन्न होता है : स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - एकाग्रता भौतिक-आध्यात्मिक उत्कर्ष-उन्नयन और जीवन-सिद्धि में सहायक उपक्रम हैं। एकाग्रचित्त एवं सर्वतोभावेन साधक गुरु कृपा और भगवद-अनुग्रह को सहज

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प्रकाश के सहारे आप जीवन में जो चाहें वही पा सकते हैं : स्वामी अवधेशानंद जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - शुभ कर्म संलग्नता ही इहलौकिक-पारलौकिक अनुकूलताओं का मूल है। ज्ञान, विवेक और विचार का आश्रय लेकर किए गए शुभ-कर्म निश्चित ही फलीभूत होते हैं, इसलिए

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सम्पन्‍नता ही नहीं विपन्नता भी सुख देती है: स्वामी अवधेशानन्दं जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - वैचारिक सम्पन्नता एवं उच्चतम जीवन मूल्य ही मनुष्य जीवन को उत्कृष्टता प्रदान करते हैं, क्योंकि हमारे मनोगत भाव-विचार ही कालांतर में व्यवहार और

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जल सभी जीव-जन्तुओं की जीवन रेखा है : स्वामी अवधेशानंद जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - जल का प्रत्येक कण अमृत-तुल्य है ! अतः जल में निहित जीवन के रक्षण-पोषण और संवर्धन के लिए जल की एक-एक बूँद सहेज कर रखें। जल ही जीवन है ! जल के बिना

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जीवन में प्रेम हो तो घोर निराशाओं में भी आशा का संचार हो सकता है : स्वामी अवधेशानंद जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - अपने सच्चे, दिव्य स्वभाव को भूल जाना दुःख की जड़ है। सार्थक जीवन के लिए ईश्वरीय स्मरण में जीएं। स्वभाव में रहें। अपरिमित आनन्द, अपार शान्ति, असीम

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होली पर्व बाह्य मस्ती से ज्‍यादा अंतर्मन के आनंद का काल है पर्व है

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने होली के पावन पर्व पर सभी देशवासियों को बधाई देते हुए कहा - रंगों का यह पवित्र पर्व आपके जीवन को भगवदीय अनुकम्पा और आध्यात्मिक ऊर्जा से अलंकृत करता रहे।

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हर कार्य के मूल में एक बीज होता है और वह है – विचार : स्वामी अवधेशानंद जी महाराज

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - विचार औषधि है। स्वस्थ्य और सकारात्मक विचारों से साधक में चरित्र की उच्चता, चिंतन की शुद्धता एवं आचरण की पारदर्शिता आती है और जीवन सिद्धि-श्रेष्ठता

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