अन्यों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करना सबसे बड़ा धर्म है : अवधेशानंद जी महाराज

वह प्रक्रिया है जिससे हम दूसरे के प्राण बचाने में स्वयं का योगदान देते है।

News Desk :  पूज्य “सद्गुरुदेव” जी ने कहा – रक्तदान न केवल सामाजिक उत्तरदायित्व है, अपितु अनेक हृदयों में विविध धमनियों द्वारा स्वयं की रक्त ऊर्जा संचरित कर अन्यों को स्वास्थ्य व जीवन दान देने का अलभ्य अवसर है। रक्तदान स्वास्थ्यवर्धक व जीवन ऊर्जा प्रदाता है ..! रक्तदान कर अन्य को जीवन-दान देने वाले व्यक्ति के लिए दैवत्व सहज सुलभ है। इतिहास में दधीचि, शिवी, हरिश्चन्द्र सहित अनेकों ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने अन्यों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया ! ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ पर रक्तदान का संकल्प लें। रक्तदान वह प्रक्रिया है जिससे हम दूसरे के प्राण बचाने में स्वयं का योगदान देते है।

 

 

 

 

 

रक्तदान करने से जीवन में शुभ कर्म करने का लाभ प्राप्त होता है। इसके अलावा रक्तदान करने से कई प्रकार के लाभ हैं; जैसे – हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। र‍क्तदान से हार्ट अटैक की आशंका कम होती है। रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। ऑक्सीजन स्थिर रहता है। शरीर में ऑक्सीजन ठीक ढंग से सप्लाई होने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। वज़न कम होता है। साल में कम से कम दो बार रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान करने से कैलोरी और फैट जल्दी बर्न होता है। रक्तदान हेमोक्रोमैटोसिस बीमारी से बचाव करता है। नियमित रुप से ब्लड डोनेट करने से आपके शरीर में आयरन का लेवल बैलेंस रहता है और साथ ही इससे हेमोक्रोमैटोसिस नामक बीमारी से बचाव होता है …।

 

 

 

 

 

🌿 पूज्य “आचार्यश्री” जी ने कहा कि आपात स्थिति हर मिनट होती है, और रक्त सबसे महत्वपूर्ण घटक है जो उपचार के समय आवश्यक होता है।आधुनिक युग में, रक्तदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ है। रक्त के साथ शरीर या जीवन के बीच का रिश्ता बहुत करीबी है। इस दृष्टि से स्पष्ट है कि रक्तदान एक महादान है। मानवता को जीवित रखने के लिए ऐसे कार्य में सक्रिय भाग लेना हमारा कर्तव्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता है, लेकिन उपलब्ध 70 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी क़रीब 30 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं।

 

 

 

 

 

हर जरुरतमंदो को रक्त सही समय पर पहुँचाना और उनकी जान बचाना ही रक्तदान का उद्देश्य है। रक्तदान के माध्यम से लोग निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करना और जो व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की सहायता करने के लिए अपना रक्त दान करते है उन्हें प्रोत्साहित करना रक्तदान का उद्देश्य है। रक्त समूह के जनक ऑस्ट्रियाई रोगविज्ञानी कार्ल लैंडस्टेनर जिनका जन्म 14 जून 1869 में हुआ था की याद में वर्ष 2005 से विश्व स्वास्थ्य संगठन हर वर्ष उनके जन्मदिवस पर ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ मनाता है। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका विषय ‘सुरक्षित रक्त, बचाए जीवन’ रखा है और इस बार विश्व रक्तदाता दिवस का नारा है ‘रक्त दो और विश्व को एक स्वस्थ स्थान बनाओ’। इसलिए यह दिन उन रक्तदाताओं को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है जो निस्वार्थ भाव से रक्त देकर दूसरों की जान बचाते हैं …।

 

 

 

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