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आवश्यकता है कि हम स्वयं का महत्व समझें, अपने भीतर की शक्तियों को पहचानें : आचार्यश्री जी

पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - यह मन ही है जो सांसारिक मतभेद पैदा करता है। जब साधक ज्ञान प्राप्त करता है और ब्रह्माण्ड के साथ एकत्व अनुभव करना शुरू कर देता है, तो मन का द्वैत मिट जाता है। इसलिए, हर समय शान्ति और समाधान प्राप्त करने के लिए…
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प्रार्थना हमें अपने आंतरिक आत्मा के साथ सम्बन्ध स्थापित करने में सहयोग करती है : श्री अवधेशानंद जी…

पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - "पुनन्तु मा पितर: सौम्यास: पुनन्तु मा पितामहा: ..!" आप की महान उपलब्धियों, समृद्धि, सर्वत्र व्याप्त कीर्ति और चमत्कृत करती उच्चता के जड़ मूल में पूर्वजों के आशीष और देव अनुग्रह ही अदृश्य रूप में समाहित हैं !…
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अन्यों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करना सबसे बड़ा धर्म है : अवधेशानंद जी महाराज

News Desk :  पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - रक्तदान न केवल सामाजिक उत्तरदायित्व है, अपितु अनेक हृदयों में विविध धमनियों द्वारा स्वयं की रक्त ऊर्जा संचरित कर अन्यों को स्वास्थ्य व जीवन दान देने का अलभ्य अवसर है। रक्तदान स्वास्थ्यवर्धक व जीवन…
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