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Amrit Anand
पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मनुष्य का भ्रम, भय और अनेक प्रकार के दु:ख अज्ञान के कारण हैं, अतः विवेक और विचार के द्वारा आनंद को उपलब्ध हुआ जा सकता है...! जब बुद्धि को अपने अज्ञान
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - सेवा परमो धर्म ही हमारी संस्कृति है; सेवा साधना नही है यह साधना का फल है...! सेवा किये बिना कोई साधना सफल नहीं हो सकती। सेवा मानव-जीवन को उत्कृष्ट और
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने रक्षा बंधन के पावन पर्व पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा - प्रेम व सौहार्द का संदेश देता है रक्षाबंधन का यह पर्व। रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मनुष्य को संस्कारित करता है - अध्यात्म; स्वस्थ समाज के लिए करें - आत्म जागरण...! अध्यात्म धर्म ही हमें इस संसार में अर्थ और काम पर नियन्त्रण रखकर
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य सद्गुरुदेव जी ने कहा - प्राकृतिक नियमों का निर्वहन, सैद्धांतिक निष्ठा, पारमार्थिक प्रवृत्ति और इष्ट के प्रति समर्पण-भावना जीवन सिद्धि के अचूक साधन हैं...! जीवन की दिव्यता के
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।। पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - परमार्थ की दिशा सर्वथा कल्याणकारी है; अहंशून्यता, सहजता और आनन्दबोध की जननी पारमार्थिक प्रवृत्तियाँ और परहित तत्परता ही है। अतः परमार्थी बनें..! पदार्थ
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - आत्म-विश्वास और विजय की उद्दाम भावना लक्ष्य-पूर्ति में सहायक एवं सफलता के सहज साधन हैं..! निस्सन्देह आत्म-विश्वास अपने उद्धार का एक महान सम्बल है।
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - सत्य नित्य-विद्यमान सत्ता है असत्य का सर्वथा अभाव है अथवा जो त्रय-काल में कहीं नहीं है। अतः सत्य-अन्वेषण सत्य-आचरण ही सुखकर कल्याणकारक है...! सत्य के
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - क्षमाशीलता, विनय, परदोष-दर्शन का अभाव एवं सदगुण-संचय; और विद्या सदगुरू सन्निधि की फलश्रुति है। अतः विद्या-अभ्यास; गुरु-उपदेश अनुसरण हितकर है..!
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - जीव-समूह के सभी प्राणी, नक्षत्र, ग्रह, तारामंडल, चंद्र, सूर्य, नदी और वन-पर्वत एक का ही विस्तार है, अतः सभी के प्रति आदर भावना श्रेष्ठ उपासना है...!
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