Fathers Day : ‘‘मैंने अपने पिता को किसी भी दूसरे से ज्यादा प्यार किया हैं : योगेश त्रिपाठी ( हप्पू सिंह )

मेरे पापा, मेरे सुपरहीरो

News Desk : मेरे पापा, मेरे सुपरहीरो
फादर्स डे पिता के साथ बच्चों के रिश्ते और पितृत्व के सम्मान में मनाया जाता है। पिता अपने बच्चों का मनोबल बढ़ाने, उन्हें सही दिशा दिखाने और जीवन में सर्वश्रेष्ठ हासिल करने के लिये उन्हें प्रोत्साहित करने में विशेष भूमिका निभाते हैं। इंटरनेशनल फादर्स डे पर एण्डटीवी के कलाकार आन तिवारी (बाल शिव, ‘बाल शिव’), फरहाना फातेमा (शांति मिश्रा, ‘और भई क्या चल रहा है?’), योगेश त्रिपाठी (दरोगा हप्पू सिंह, ‘हप्पू की उलटन पलटन’) और रोहिताश्व गौड़ (मनमोहन तिवारी, ‘भाबीजी घर पर हैं’) बता रहे हैं कि अपने-अपने पिता के साथ उनका रिश्ता कितना खास है और उनमें सुपरहीरो जैसे कौन-से गुण हैं।

 

 

 

 

एण्डटीवी के ‘बाल शिव’ के बाल शिव, यानि आन तिवारी ने कहा, ‘‘मेरे पिता मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। हम जितना संभव हो, साथ में समय बिताते का आनंद लेते हैं। वह मुझे ‘बाल शिव’ के सेट पर लेकर जाते हैं और डायलॉग का रिहर्सल करने में मेरी मदद करते हैं। जब मैं गलती करता हूँ, वह मुझे सही करते हैं, लेकिन कभी डांटते नहीं हैं। मेरी माँ और मैं फादर्स डे पर उनका पसंदीदा व्यंजन बनाने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि वह मेरे सुपरहीरो हैं।’’ एण्डटीवी के ‘और भई क्या चल रहा है?’ की शांति मिश्रा, यानि फरहाना फातेमा ने कहा, ‘‘मेरे पिता मेरी सबसे बड़ी ताकत और मेरे बेस्ट सुपरहीरो हैं। वह सबसे अच्छे पिता हैं, क्योंकि एक रूढ़िवादी परिवार से आने के बावजूद उन्होंने घर की सभी महिलाओं को हमेशा सहयोग और प्रेरणा दी, ताकि हम अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सकें। उन्होंने मुझे बाइक चलाना, पेड़ पर चढ़ना सिखाया और खेलों में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित किया। उन्होंने मुझ पर भरोसा किया और एक्टिंग में आगे बढ़ने के लिये भी प्रोत्साहित किया। उन सारे बेहतरीन पिताओं के लिये हैप्पी फादर्स डे, जो अपने बच्चों के लक्ष्यों को पाने में लगातार प्रोत्साहन और सहयोग देते हैं।’’

 

 

 

एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन’ के दरोगा हप्पू सिंह, यानि योगेश त्रिपाठी ने कहा, ‘‘मैंने अपने पिता को किसी भी दूसरे से ज्यादा प्यार किया। वह मेरे संरक्षक, दोस्त और ऐसे इंसान थे, जो विफल होने पर भी मेरे साथ खड़े रहे। मेरे पिता ने मुझे खुद से आश्वस्त होने और अपने लक्ष्यों का पीछा करने की योग्यता दी। वह जिन्दगी के सभी उतार-चढ़ावों में मेरे लिये हमेशा एक सुपरहीरो रहे। टेलीविजन में बड़ा ब्रेक मिलने से पहले मैंने नुक्कड़ नाटकों और थियेटर्स में परफॉर्म करना शुरू कर दिया था, लेकिन मेरे कॅरियर का श्रेय उन्हें जाता है, क्योंकि उनसे मिलने वाला नैतिक समर्थन हमेशा बना रहा। मुझे याद है कि उन्होंने हमारे लिये कितनी मेहनत की और हमेशा बेस्ट हासिल करने की इच्छा मुझे उन्हीं से मिली है, जिसे मैं अपने बच्चों को देने की उम्मीद करता हूँ।’’ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं’ के मनमोहन तिवारी, यानि रोहिताश्व गौड़ ने कहा, ‘‘मैं आज तक जितने लोगों को जानता हूं, उनमें मेरे पिता सबसे रचनात्मक व्यक्ति थे। उनके कारण एक्टिंग और अपनी लगन पर चलने में मेरी रूचि जागी। वह थियेटर से थे और उन्होंने चुंगी एवं कर विभाग में भी काम किया था। उन्होंने 1955 में शिमला में ऑल-इंडिया आर्टिस्ट्स एसोसिएशन का नेतृत्व भी किया था और मुझे वाद-विवाद, स्टेज शोज और कविता प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित किया। मेरे पिता एक असली सुपरडैड थे, जिन्होंने मुझे प्यार, मजबूती, सहनशीलता, स्वीकार्यता, बहादुरी और अपनापन जैसे गुण दिये और मैं यह गुण अपनी बेटी को दे रहा हूँ। सारे सुपर डैड्स को फादर्स डे की शुभकामनाएं।’’

 

 

 

 

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