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Amrit Anand

पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - शब्द ब्रह्म है ! हमारी अभिव्यक्ति में सत्य-माधुर्य, पावित्रय और अन्य के लिए आदर रहे। अभिव्यक्ति ही हमारे अंतर का परिचय है ..! शब्द ही ब्रह्म है।

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - परमार्थ, सतत भगवद-स्मृति और शुभ-संकल्प ही आनंद साम्राज्य की कुंजियां हैं ..! भारतीय सांस्कृतिक के अनुसार व्यक्ति का दृष्टिकोण ऊँचा रहना

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

 पूज्य "सदगुरुदेव" जी ने कहा - आत्म-विस्मृति, अज्ञानता और प्रमाद ही समस्त दु:खों की जड़ है। अतः जीवन सिद्धि के लिए निरन्तर भगवद स्मृति बनी रहे ..! जीवन के अनमोल पलों को प्रमाद में व्यतीत नहीं करना चाहिए। प्रमाद यानी आलस्य, भूल और असावधानी।

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - स्वयं के अविनाशी, नित्य-शाश्वत, सनातन स्वरूप की स्मृति अखण्ड-आनन्द और परम-शान्ति प्रदात्रि है। अत: अस्तित्वबोध के प्रयत्न निरन्तर रहें ..!  मानव

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - भगवन्नाम स्मरण में अपार-ऊर्जा, अखण्ड-आनन्द और असीम-शान्ति समाहित है। अतः भगवदीय स्मृति सर्वथा श्रेयस्कर और कल्याणकारक है ..! नाम स्मरण से ही होगा - जीव

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सदगुरुदेव" जी ने कहा - सृष्टि के नानात्व में विविधता-विभिन्नता दिखाई पड़ती है। प्रकृति और प्राणी समूह परस्पर भिन्न हैं, किन्तु उन सभी के मूल में एक ही सत्ता समाहित है। इन

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
 पूज्य "सदगुरुदेव" जी ने कहा - सनातन-वैदिक संस्कृति स्वाभाविक एवं नैसर्गिक जीवन धारा है; जहाँ आत्मोन्नयन और लोकोपकार के साथ-साथ समरसता समन्वय, सहअस्तित्व एवं वसुधैव कुटुम्बकम् के

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य "सदगुरुदेव" जी ने कहा - सत्कर्म, शुभ-संकल्प, विनय, जितेंद्रियता और आत्म-विश्वास सफलता के मूल मन्त्र हैं ..! सज्जनों की संगति से हृदय के विचार पवित्र होते हैं। सत्संगति करने से स्वार्थ भाव त्यागकर मनुष्य परमार्थ के लिए जीवन जीता है व

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
 🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - सागर तक पहुंचने के लिए जैसे सरिताओं में तटबंधों का अनुशासन आवश्यक है l उसी प्रकार इष्ट सिद्धि के लिए प्राकृतिक नियमों का निर्वहन, शास्त्र-सम्मत मार्ग

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
🌿पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - जीवन का हर पल शुभता, ऐश्वर्य, माधुर्य और अनन्त सम्भावनाओं से आपूरित है। जैसे ही मानवी चेतना अंतर्मुखी होती है; स्वयं में निहित परिपूर्णता, सनातनता और

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