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Amrit Anand

पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - अति संग्रह-संचय, भंडारण और लोभ-भोग वृत्तियां ही समष्टि में असंतुलन का मूल कारण हैं। संयमपूर्वक प्राकृतिक और नैसर्गिक जीवन जीकर

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - माँ के प्रेम, करुणा-वात्सल्य आदि दिव्य भावों से अभिसिञ्चित मातृभाषा हमारी निजता और आत्मगौरव की अभिव्यक्ति है। यह माँ की भाँति ही आदरणीय और

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - विशुद्ध अन्त:करण से की गई प्रार्थनाएँ शान्ति प्रदात्रि एवं आनंद साम्राज्य द्वार की कुंजियां हैं ..! भगवान भक्तवत्सल, परमकृपालु, करूणानिधान और

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मन मनुष्य के बंधन एवं मोक्ष का कारण है। जैसे ही मन अज्ञान-आवरण से आवृत होता है, बंधन एवं दुःखों का कारण बन जाता है और ज्ञान प्रकाश का प्रस्फुटन

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - हमें यह समझने की आवश्यकता है कि भौतिक वस्तुओं, व्यक्तियों और स्थितियों में केवल हमें क्षणिक सुख मिल सकता है। उनसे प्राप्त प्रसन्नता न तो

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
            ।। श्री: कृपा ।।
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 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - भगवदीय-अनुग्रह, दैव-अनुकूलता एवं सदगुरू-कृपा आशीष; विशुद्ध अन्त:करण द्वारा ही अनुभूत होते हैं..! सत्य बोलना, प्रिय बोलना, मधुर

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मानवीय चेतना के उद्धार, संशयोन्मूलन और अज्ञान की निवृत्ति में सहायक है - श्रीमद्भगवत गीता ! गीता के बिना हर मनुष्य का जीवन अधूरा है।

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मानवी चेतना उत्कर्ष-उन्नयन और समग्र कल्याण के लिये अन्त:करण की पवित्रता, पुरुषार्थ और आध्यात्मिक-उद्योग आरम्भिक साधन

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
          ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - हमें यह समझने की आवश्यकता है कि भौतिक वस्तुओं, व्यक्तियों और स्थितियों में केवल हमें क्षणिक सुख मिल सकता है। उनसे प्राप्त प्रसन्नता न तो

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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्

पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
           ।। श्री: कृपा ।।
🌿 पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - भगवन्नाम स्मरण में अपार-ऊर्जा, अखण्ड-आनन्द और असीम-शान्ति समाहित है। अतः भगवदीय स्मृति सर्वथा श्रेयस्कर और कल्याणकारक है ..! नाम स्मरण से ही होगा -

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