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Amrit Anand
पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा -आत्म-संयम, सत-संकल्प और सत्य-निष्ठा व्यक्तित्व में असाधारण सामर्थ्य और भगवदीय प्रभाव उत्पन्न करती है, अतः आध्यात्मिक जीवन ही श्रेयस्कर है..! आत्मसंयम से ही जीवन लक्ष्य की सफलता…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - साधन द्वारा वास्तविक स्वरूप का बोध कर अपनी अखण्ड सत्ता का अनुभव किया जा सकता है, जहाँ नित्य-आनन्द, अखण्ड-रस, परम-शान्ति और वैभव विद्यमान है...! …
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - अपनी निजता के बोध का फलादेश है - अनन्तता और अतुल्य सामर्थ्य का अनुभव। अतः आत्माभिमुखी बनें...! पानी का एक बुलबुला सागर से दूर होकर अत्यंत असहाय,…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - शब्द ईश्वरीय सत्ता है। अभिव्यक्ति में सत्यता-मधुरता, लालित्य-पावित्रय और आदर भावना रहे, यह एक ऐसा आध्यात्मिक साधन है, जो सर्वथा कल्याणकारक है...!…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मानस दुर्बलता-आत्महीनता, स्वयं के प्रति अस्वीकृति जीवन से पलायन है। अतः अपनी निजता में लोटें; जहाँ अनन्त सामर्थ्य और अतुल्य तेज़ विद्यमान है...! कोई…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मानव-मन की कामनाओं के कोलाहल में आत्म-स्वर शिथिल हो जाते हैं; अतः स्वयं का परिचय प्राप्त कर आत्म-स्वर को प्रबल बनायें, आत्म-निरीक्षण हितकर है...।…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - क्षमाशीलता-विनय, परदोष-दर्शन का अभाव, विवेक-वैराग्य के आश्रय में आत्म-विचार और सन्त-सानिध्य कल्याण कपाट खोलने में समर्थ हैं...! क्षमा सभी धर्मों का…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - कारण-परिस्थिति, विषय-वस्तु और दृश्यमान सत्ता सभी में निरंतर परिवर्तन है। अतः अजेय-अविनाशी, नित्य-शाश्वत आत्मतत्व को जानना ही हितकर है...! कलियुग…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - सृष्टि स्वभावत: परिवर्तनशील है, अतः शुभ-संकल्प की तीव्रता से सकारात्मक एवं कल्याणकारी परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं...! हर क्षण अपनी सर्वोत्तम सेवा समाज को देने का…
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पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - आध्यात्मिक अंतस का निर्माण होते ही आनन्द-स्फूर्ति, आह्लाद, ऊर्जा, आत्म-सन्तोष और सहजता का अनुभव होने लगेगा, अतः स्वयं की ओर बढ़ें...! अध्यात्म का मानव जीवन में विशेष स्थान है। इसके बिना मानव…
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