ज़ी टीवी का आगामी फिक्शन शो ‘इश्क सुभान अल्लाह’ तीन तलाक के मुद्दे पर रोशनी डालता है l

 रोजमर्रा की जिंदगी में धर्म के मायने और इसके इस्तेमाल पर सवाल उठाता ज़ी टीवी का आगामी फिक्शन शो ‘इश्क सुभान अल्लाह’ तीन तलाक के मुद्दे पर रोशनी डालता है l

मुंबई,  मार्च 2018। ‘तलाक, तलाक, तलाक…’ यदि एक निकाह को मुकम्मल बनाने के लिए एक औरत की भी सहमति जरूरी होती है तो फिर भला कोई मर्द अकेले में सिर्फ ये तीन शब्द बोलकर इस वैवाहिक संबंध को कैसे तोड़ सकता है? क्या इसमें एक औरत को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं? धर्म के ऐसे ही गलत अर्थ से सर्वाधिक प्रभावित भारत के मध्यमवर्गीय लोगों ने  अब अपनी किस्मत की बागडोर संभालना शुरू कर दिया है। वे अब ‘तीन तलाक‘ जैसे कानून के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

जहां तीन तलाक बिल संसद के फैसले का इंतजार कर रहा है और इस समय यह मुद्दा चर्चा में है, वहीं ज़ी टीवी अपने नए फिक्शन शो ‘इश्क सुभान अल्लाह’ में दर्शकों को कबीर और ज़ारा की दुनिया से रूबरू करा रहा है, जो इस मुद्दे का सामना कर रहे हैं। लखनऊ में बसे कबीर और ज़ारा इस्लाम को मानते हैं, लेकिन दोनों ही कुरान को अलग-अलग नजरिये से देखते हैं। जहां कबीर एक मौलवी है जो शरियत बोर्ड के द्वारा बताए गए पारंपरिक रस्मों-रिवाजों को मानता है, वहीं ज़ारा एक पढ़ी-लिखी औरत है जो अल्लाह की तालीम को जिंदगी के आजाद नजरिये से देखती है। वह धर्म के आधुनिक स्वरूप को मानती है जो व्यावहारिकता, समझदारी, लिंग समानता, नारी सशक्तिकरण, न्याय और सच्चाई पर आधारित है। ज़ारा यह मानती है ‘तीन तलाक‘ का चलन गैर-इस्लामी है और कुरान में इसका कोई उल्लेख नहीं है।

उसका मानना है कि तलाक की प्रक्रिया 60 दिनों में पूरी होनी चाहिए, जिसमें दोनों पक्षों को अपने मतभेद सुलझाने का मौका मिल सके। इस शो में दर्शक एक दिलचस्प सफर देखेंगे, जिसमें तकदीर ज़ारा और कबीर को मिलाती है और दोनों शादी के बंधन में बंध जाते हैं। इनमें से ज़ारा आजाद ख्यालों की है और कबीर कट्टरवादी। फिर उनकी विचारधाराएं आपस में टकराती हैं और नौबत तलाक तक आ जाती है। ज़ारा और कबीर की इस अलग-अलग सोच के जरिये ज़ी टीवी भी लोगों से यह गुजारिश करता है कि वे धर्म के प्रति अपने नजरिये पर दोबारा विचार करें और धर्म को अपनी जिंदगी में अपनाने और इसे समझने में व्यावहारिकता से काम लें। ‘आज लिखेंगे कल’ की अपनी ब्रांड फिलॉसफी के साथ ज़ी टीवी यह सवाल उठाता है कि क्या धर्म को हम पर बंदिशें लगाकर हमें सीमित दायरे में बांधने के बजाय, हमें मजबूत बनाकर आगे बढ़ने में मदद नहीं करना चाहिए?

धीरज कुमार के क्रिएटिव आई लिमिटेड के निर्माण में बना यह शो 14 मार्च से शुरू हो रहा है और इसका प्रसारण हर सोमवार से शुक्रवार रात 10 बजे ज़ी टीवी पर किया जाएगा।ज़ी टीवी के डिप्टी बिजनेस हेड दीपक राजाध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमने खूबसूरती से गढ़े दो शोज़ – ‘आप के आ जाने से‘ और ‘कलीरें‘ से साल 2018 की शुरुआत की। इनमें से हरेक शो ने भारतीय समाज की आधुनिक हकीकत सामने लाई और दर्शकों को इस बारे में जागरूक बनाया। अब हमारा अगला प्राइम टाइम फिक्शन शो ‘इश्क सुभान अल्लाह‘ एक मुस्लिम सोशल ड्रामा है। इस स्पेस में हमने ‘कुबूल है‘ जैसे शो से शुरुआत की थी, जो अपने दोनों सीजन के दौरान बेहद सफल रहा।

‘इश्क सुभान अल्लाह’ अपने दर्शकों से कहता है कि वे जरा ठहरें और अपने दैनिक जीवन में धर्म को सही अर्थों में अपनाएं। यह शो एक दंपति के हर फैसले में औरत की इच्छा को दिए जाने वाले महत्व पर सवाल उठाता है, जिसमें शादी के बंधन में बंधने और इसे सम्मानजनक रूप से खत्म करने जैसे संवेदनशीन मुद्दे भी शामिल हैं। जहां तीन तलाक बिल पर संसद में फैसला होना बाकी है, वहीं हमारा यह प्रयास है कि लोग खुद यह आकलन करें कि क्या एक औरत की सहमति से होने वाली शादी को मर्द अकेले ही तोड़ सकता है? ऐसी स्थिति में एक औरत इस फैसले पर सिर्फ एक मूकदर्शक की भूमिका कैसे निभा सकती है? हमारी नायिका ज़ारा आज के मध्यम वर्ग की सोच के मुताबिक अपनी तकदीर की बागडोर थामकर यही महत्वपूर्ण सवाल उठाती है जो उसकी तरह लाखों महिलाओं के बेहतर भविष्य का रास्ता खोलेगी।

इस शो का प्रसारण रात 10 बजे होगा और इस समय प्रसारित हो रहा हमारा शो ‘वो… अपना सा‘ शाम 7 बजे के स्लॉट में दिखाया जाएगा। वहीं, ‘जीत गई तो पिया मोरे‘ अब रात 11 बजे दिखाया जाएगा।‘‘क्रिएटिव आई लिमिटेड के प्रोड्यूसर धीरज कुमार ने कहा, ‘‘इस्लाम का पवित्र ग्रंथ कुरान आज अलग-अलग लोगों द्वारा अलग-अलग अर्थों में समझा जाता है। ‘इश्क सुभान अल्लाह‘ कबीर और ज़ारा की कहानी दिखाता है। दोनों की एक ही धर्म की अलग-अलग समझ के चलते उनकी शादी तलाक की कगार पर पहुंच जाती है। हालांकि हमारा देश अब धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, लेकिन अब भी पुरुषवादी सोच का बोलबाला है। महिलाओं की सहमति या उनकी राय अब भी जरूरी नहीं समझी जाती। यहां तक कि शादी जैसे जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में भी उनकी राय मायने नहीं रखती। ‘इश्क सुभान अल्लाह‘ के जरिए हम आम धारणा को तोड़ना चाहते हैं और लोगों से यह अपील करना चाहते हैं कि वे धर्म के मामलों में समझदारी से काम लें।

हम यह संदेश देना चाहते हैं कि धर्म का पालन व्यवहारिकता को ताक पर रखकर नहीं किया जा सकता बल्कि धर्म की मूल बातें तो जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए इस्तेमाल की जानी चाहिए। हमें इससे पहले भी ज़ी टीवी के साथ जुड़ने का सौभाग्य मिला और हमें उम्मीद है कि इस नई पेशकश के साथ हमारा इस चैनल के साथ रिश्ता और मजबूत होगा।‘‘आत्मविश्वास और आजाद ख्यालों से भरी ज़ारा का रोल खूबसूरत एक्ट्रेस ईशा सिंह निभा रही हैं। उनके साथ एक्टर अदनान खान एक होशियार और पढ़े-लिखे लेकिन रुढ़िवादी विचारों से जुड़े नायक कबीर अहमद की भूमिका मैं नजर आएंगे। ईशा सिंह कहती हैं, ‘‘एक साल के बाद ज़ी टीवी पर वापसी करके बहुत अच्छा लग रहा है। ‘इश्क सुभान अल्लाह‘ एक अनूठा विषय है, जिसमें एक मजबूत संदेश भी है। ज़ारा एक मजबूत और आत्मविश्वास से भरी लड़की है जो नतीजों से नहीं घबराती और सवाल उठाने से भी नहीं डरती है।

वह पवित्र कुरान की धार्मिक नसीहतों में यकीन रखती है लेकिन अपनी जिंदगी में इसका इस्तेमाल तार्किक ढंग से समझदारीपूर्वक करती है। ज़ारा एक प्रगतिशील विचारों की लड़की है लेकिन वह बागी नहीं है और ना ही वो नास्तिक है। उसने गहराई से इस्लाम का अध्ययन किया है और इसकी शिक्षा के गलत मायने निकालने वालों के खिलाफ खड़ी होती है। आज हमने एक देश के रूप में भले ही तरक्की की हो, लेकिन ऐसी कई स्थितियां है जहां हम समाज द्वारा लादे गए रस्मों रिवाजों में फंस जाते हैं। मैं ज़ारा के किरदार से भली-भांति जुड़ती हूं और उम्मीद करती हूं कि दर्शक भी उसके विचारों से सहमत होंगे। मैं इतना दमदार किरदार निभाने को लेकर वाकई बेहद उत्साहित हूं और उम्मीद करती हूं कि दर्शक भी मुझे इस किरदार में पसंद करेंगे।‘‘ एक्टर अदनान खान कहते हैं, ‘‘कबीर का किरदार एक युवा मौलवी का है, जिसे इस्लाम की गहरी समझ है लेकिन वो पारंपरिक और सांस्कृतिक बंधनों में बंधा है। उसका व्यक्तित्व ज़ारा से बिल्कुल अलग है। एक मुस्लिम होने के नाते मैं कबीर के किरदार के कुछ पहलुओं को बड़ी आसानी से ग्रहण कर पाया। इससे मुझे अपने रोल की तैयारी में भी मदद मिली। मैं इस किरदार की भावना और इसकी धार्मिक पहल से मजबूती से जुड़ गया क्योंकि असल जिंदगी में मैं भी बेहद धार्मिक हूं मगर मेरी धार्मिकता में थोड़ी आधुनिकता है। इस शो का विषय बेहद दिलचस्प है और मैं इस नए सफर को लेकर बेहद उत्साहित हूं।‘‘ क्या होगा जब तकदीर ज़ारा और कबीर को एक साथ लाएगी? जानने के लिए देखिए ‘इश्क सुभान अल्लाह‘, हर सोमवार से शुक्रवार रात 10 बजे सिर्फ ज़ी टीवी पर।

 

 

 

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