दिल्ली। पंजाबी बाग क्षेत्र मे फिर प्रदूषण के बढ़ते स्तर से यहां हर व्यक्ति भले ही चिंतित हो, लेकिन दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येद्र जैन शायद चिंतित और गंभीर नजर नहीं आते। यही वजह है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र शकूरबस्ती विधानसभा क्षेत्र की सीमेट साइडिंग भी पंजाबी बाग सहित आसपास के इलाके में वायु प्रदूषण का बहुत कारण है। इसे यहां से स्थानांतरित करने की मांग कई बार की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नही हैं।
शकूरबस्ती सीमेंट साइडिंग पर राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से रेल मार्ग से यहां 20 से 22 लाख सीमेंट के कट्टे प्रतिदिन लाए जाते हैं। इसमें से कुछ आसपास बने सीमेंट के गोदामों में रखे जाते हैं तो कुछ दिन में छोटे-छोटे वाहनों से दिल्ली के अन्य इलाको में भेज दिए जाते हैं। रात में बड़े-बड़े ट्रक, ट्राले भी हजारो की तादाद में यहां से सीमेंट लेकर पंजाबी बाग और ब्रिटानिया चौक के रास्ते दिल्ली के इलाको में कूच करते है।
सीमेंट साइडिंग के आसपास तो दिन भर सीमेंट की गर्द हवा में छाई रहती है, जो हवा चलने पर आसपास के इलाके को भी चपेट में लेती है। इसका असर पंजाबी बाग, रानी बाग, श्रीनगर, शकूरबस्ती, शकूरपुर, रामपुरा, त्रीनगर आदि आसपास के इलाको तक साफ नजर आता है। रात में तो स्थिति और भी भयानक हो जाती है जब ट्रकों की लंबी कतार यहां से निकलती है तो यातायात जाम की समस्या भी गहरा जाती है।
कच्चे-पक्के रास्ते से होकर हिचकोले खाते हुए जब ये ट्रक रिंग रोड पर पहुंचते है तो इनमें रखे सीमेंट के कट्टों से गर्द उड़ती रहती है। हैरानी की बात है कि केद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पंजाबी बाग में बढ़ते प्रदूषण को लेकर लगातार चेता रहा है मगर सरकारी एजेंसियों की नींद ही नहीं टूट रही है। उनका ध्यान इस सीमेंट साइडिंग की तरफ है ही नहीं।
केद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जब भी प्रदूषण के आंकड़े जारी किए जाते है तो पंजाबी बाग में हालत चिंताजनक ही रहती है। दो वर्ष पहले जब इस इलाके में रेलवे की जमीन पर बसी झुग्गी बस्ती को रेलवे अधिकारियों ने हटाने की कोशिश की तो यहां झुग्गी वालो को राहत देने के लिए पहुंचे दिल्ली सरकार के अधिकारियों को यहां हवा में उड़ती सीमेंट की वजह से ही नाकों चने चबाने पड़े।
मौके पर पहुंचे चिकित्सकों के दल ने माना कि यह सीमेंट साइडिंग आसपास के इलाकों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। झुग्गी बस्ती में जितने लोग बीमार थे उनमें से अधिकांश सांस के रोगी पाए गए, मगर फिर भी दिल्ली सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग आज भी इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है।
इस मामले पर पर्यावरणविद विनय कंसल का कहना है कि जब सरकार कुछ नहीं कर रही है तो एनजीटी को इस पर स्वत: संज्ञान लेकर लोगों को बचाना चाहिए। हालात बहुत खराब हो रहे हैं। मेरा मानना है कि केद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पंजाबी बाग को लेकर प्रदूषण के जो आंकड़े कुछ दिनो में दिए है, उसके कारण तो कई है, लेकिन सबसे बड़ा कारण यह सीमेंट साइडिंग ही है।
News Source: jagran.com
Comments are closed.