अमेरिकी जल्द ही कॉटन पहनने के साथ अब खाएंगे भी

वाशिंगटन : अमेरिका के लोग जल्द ही कॉटन पहनने के साथ इन्हें खाना भी शुरू करेंगे क्योंकि कॉटन की एक खाने वाली वैरायटी जल्द मार्केट में आने वाली है। टेक्सस ए ऐंड एम यूनिवर्सिटी के मुताबिक इस प्लांट की खासियत यह है कि इसके बीज खाए जा सकते हैं।

इस यूनिवर्सिटी ने कॉटन की यह प्रजाति दो दशक पहले डिवेलप की थी। हालांकि यूएस फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन के अप्रूवल की जरूरत अभी बाकी है।यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रिकल्चर ने कॉटन प्लांट के बायोटेक वर्जन को कमर्शलाइज करने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया है। यूनिवर्सिटी के मुताबिक अप्रूवल कुछ महीनों में मिल जाएगा, इसके बाद किसान खाने और पहनने दोनों के लिए कॉटन उगा सकेंगे।

टेक्सस ए ऐंड एम यूनिवर्सिटी के प्रफेसर कीर्ति राठौर ने इस प्रॉजेक्ट पर 23 साल पहले काम करना शुरू किया था और उन्हें पता चला कि प्लांट में टॉक्सिन पैदा करने वाले जीन को कैसे रोका जाए। इस जीन को गॉसिपॉल के नाम से जानते हैं। यह जीन पौधे को कीड़ों से बचाता है लेकिन इस वजह से कॉटन सीड जानवरों और इंसानों के खाने लायक नहीं रहता।

राठौड़ ने बताया, ‘इसका स्वाद हमस (एक तरह की डिप या स्प्रेड) के तरह होगा और बेस्वाद नहीं लगेगा।’ राठौर के मुताबिक प्रोटीन निकालकर इसका पाउडर भी बनाना चाहिए ताकि इसे एनर्जी बार्स और आटे में भी मिलाया जा सके। काटर के मुताबिक डोमेस्टिकेटेड प्लांट में टॉक्सिन छोड़ने का कोई मतलब नहीं।

इस खोज से रास्ते खुलते हैं कि भविष्य में सारी कॉटन इसी टेक्नॉलजी से युक्त हो। कॉटन इनकॉरपोरेटेड के वाइस प्रेजिडेंट काटर ने बताया कि इसे कमर्शली उगा सकें इसमें काफी वक्त लगेगा क्योंकि बीजों की सप्लाई अगले सीजन से बढ़ानी होगी।

इसके लिए रिसर्च, मार्केटिंग और फंड वगैरह की जरूरत भी होगी। काटर ने बताया कि कॉटन सीड्स में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। 600 मिलियन लोगों के रोजाना की जरूरत पूरी करने के लिए दुनियाभर में उगाई जाने वाली कॉटन को खानी वाली वरायटी से रिप्लेस करना होगा। इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू अखरोट और बादाम जितनी ही होती है।

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