दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने महत्वपूर्ण आपातकालीन बैठक की

एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर आज एक आपातकालीन बैठक बुलाई। जीआरएपी के लिए उप-समिति की 8वीं बैठक के बाद 13 नवंबर, 2021 को जारी आदेश से अलग, दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न वायु प्रदूषण निवारक उपायों और कम करने के कदमों पर बात हुई, जिसे विभिन्न एजेंसियों द्वारा उठाए जाने की आवश्यकता है। जीआरएपी आदेश में राज्यों और संबंधित एजेंसियों को क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत सूचीबद्ध ‘आपातकालीन उपायों’ को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने की सलाह दी गई है।

धान की पराली जलाने, वाहनों से होने वाले प्रदूषण, दिवाली के बाद का प्रदूषण, तापमान में गिरावट और अन्य स्थानीय कारकों के संयुक्त परिणाम के चलते दिल्ली-एनसीआर की हवा इतनी खराब हुई। यह थार रेगिस्तान की दक्षिण-पश्चिम दिशा से आने वाली धूल भरी आंधी से भी काफी प्रभावित हुई, जो भारी मात्रा में धूल लेकर आई थी और पीएम2.5/ पीएम 10 के स्तर को काफी बढ़ा दिया। वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के सभी विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए, आयोग ने बैठक में दोहराया कि उप-समिति के आदेशों में सुझाए गए कदमों को राज्यों द्वारा सख्ती से लागू किया जाएगा।

आयोग ने दिल्ली-एनसीआर की मौजूदा प्रतिकूल वायु गुणवत्ता में योगदान देने वाले 5 अलग-अलग क्षेत्रों की भी पहचान की है, जिन पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और जीएनसीटीडी की राज्य सरकारों की संबंधित एजेंसियों द्वारा तीव्र प्रयासों के साथ ध्यान देने की आवश्यकता है। ये क्षेत्र हैं:

  • धान की पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण;
  • निर्माण और तोड़फोड़ (सी एंड डी) गतिविधियों से धूल पर नियंत्रण;
  • सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल नियंत्रण;
  • वाहन प्रदूषण और
  • औद्योगिक प्रदूषण

वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सीएक्यूएम ने सभी रोक हटा ली है। आयोग समय-समय पर इस क्षेत्र की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न नीतिगत पहलों और कदमों की सलाह देता रहा है। 43 निर्देशों और 7 एडवाइडरी जारी करने से लेकर राज्य सरकारों के संबंधित विभागों और एनसीआर की अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ नियमित बैठकों तक, सीएक्यूएम वायु प्रदूषण को कम करने के लिए संबंधित राज्यों के प्रयासों का पूरी सक्रियता से जायजा ले रहा है।

सीएक्यूएम का मानना है कि राज्य सरकारों और संबंधित एजेंसियों में शीर्ष स्तर पर प्रबंधन द्वारा नियमित समीक्षा किए जाने की अत्यधिक जरूरत है, जिससे दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार की दिशा में जमीनी स्तर पर शुरू किए गए प्रयासों के प्रत्यक्ष असर से अच्छी तरह अवगत हो सकें।

हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश (यूपी) की राज्य सरकारों से अपनी राय देने की बात करते हुए, आयोग ने संबंधित विभागों को 13 नवंबर, 2021 के अपने आदेश के तहत जीएनसीटीडी द्वारा लागू किए गए प्रतिबंधों/नियमों को अपने संबंधित एनसीआर जिलों में भी अपनाने की सलाह दी। इसमें अन्य उपायों के साथ-साथ 20 नवंबर, 2021 तक स्कूलों को बंद करना और 14 से 17 नवंबर तक सी एंड डी गतिविधियों को बंद करना शामिल है।

इसके अलावा, एनसीआर राज्यों में राज्य सरकारों और जिला प्रशासन को भी सुझाव दिया गया है कि वे जीआरएपी कार्य योजना के विभिन्न चरणों/श्रेणियों के दौरान उठाए जाने वाले कदमों के मद्देनजर जनता के लिए ‘नागरिक चार्टर / सलाह’ जारी करें। आयोग ने विभिन्न क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता और ठोस उपायों की जरूरत को दोहराया, जो वायु गुणवत्ता को तुरंत और प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।

Comments are closed.