देश भर में किसानो के विरोध के बीच सरकार ने बढ़ाया 50 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य

न्यूज़ डेस्क ” केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में किसानों को बड़ा सौगात देते हुए गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।

 

 

पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक में लिया गया फैसला : 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इसका निर्णय लिया गया और लोकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी घोषणा की। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि एमएसपी, एपीएमसी बनी रहेगी, सरकारी खरीद होती रहेगी और इसके साथ किसान जहां चाहें अपने उत्पाद बेच सकेंगे।

 

 

कृषि मंडी और एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा :

हालांकि, सरकार ने रविवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि कृषि मंडी और एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा। वहीं, कृषि से जुड़े दो बिल के पास होने के बाद विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि इस दोनों बिल के पास हो जाने से किसानों के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को केंद्र सरकार खत्म कर देगी।

 

 

किसानों का प्रदर्शन जारी : 

किसानों से जुड़े दो बिल को लेकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में किसानों का प्रदर्शन जारी है। वहीं, विपक्ष लगातार इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन विधेयकों को किसानों के खिलाफ ‘मौत का फरमान’ बताया है।

 

 

किसानों के खिलाफ मौत का फरमान- राहुल गांधी

उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘जो किसान धरती से सोना उगाता है, मोदी सरकार का घमंड उसे खून के आंसू रुलाता है। राज्यसभा में आज जिस तरह कृषि विधेयक के रूप में सरकार ने किसानों के खिलाफ मौत का फरमान निकाला, उससे लोकतंत्र शर्मिंदा है।’

 

 

मैं देश के प्रत्येक किसान को देता हूं भरोसा

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को भरोसा देते हुए कहा था, ‘मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे।’

 

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