एक्शन प्लान तैयारः पराली से बनेगी बिजली, अब सर्दियों में नहीं घुटेगा दिल्ली-NCR का दम

नई दिल्ली । पराली के धुएं से दिल्लीवासियों को छुटकारा दिलाने के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया गया है। इसके मुताबिक, पराली से ईट व गोलियां बनाई जाएगी, जिन्हें ऊर्जा संयंत्र में कोयले के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, इसमें फ्लाई ऐश काफी अधिक उड़ती है, लेकिन इस पर काबू पाया जा सकता है। यह कार्य ऐसी औद्योगिक इकाइयों को ही दिया जाएगा, जिनके बॉयलर की क्षमता 500 डिग्री की होगी। इससे फ्लाई ऐश की समस्या दूर हो जाएगी।

चिंताजनक स्थिति

हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान में सर्दियों के दौरान 39 मिनियन टन पराली जलती है। इसके धुएं की वजह से हर साल दिल्ली-एनसीआर का दम घुटता है। समस्या यह है कि फसल कटने और अगली फसल की बुआई के बीच केवल 15 से 20 दिन का समय होता है।

किसान जल्दबाजी की वजह से ही पराली जलाने पर मजबूर होते हैं। ऐसे में पराली की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए पीएमओ की ओर से नवंबर में समिति गठित की गई थी। कमेटी ने पूरे अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट कृषि एवं पर्यावरण मंत्रालय सहित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भी सौंप दी है।

आर्थिक मदद का सुझाव

इस रिपोर्ट में किसानों को पराली के निपटान के लिए आर्थिक मदद देने की की बात भी कही गई है। यह सहायता किसानों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रासफर) सिस्टम से दिया जा सकता है। पराली निपटान की बेहतर निगरानी के लिए किसी एजेंसी को जिला और ब्लॉक स्तर पर मॉनिटरिंग का कार्य भी सौंपना होगा। ब्लॉक स्तर पर हेल्पलाइन नंबर का सुझाव भी समिति ने दिया है। साथ ही पराली में आग की घटनाओं की शिकायत के लिए एप बनाने और पराली को बायो पावर में बदलने की सिफारिश की गई है।

पराली से बायो इथेनॉल 

रिपोर्ट में पराली को बायो इथेनॉल में बदलने की सिफारिश की गई है। इससे गाव में पराली जलाने की समस्या खत्म हो सकती है। इसके लिए एनसीईएफ से फंड लिया जा सकता है। बायो पावर तथा बायो इथेनॉल के लिए 18 से 30 फीसद की आर्थिक सहायता दी जा सकती है। यही नहीं, पराली के उपयोग के लिए तकनीक विकसित करने की जरूरत बताई गई है। राज्य सरकारें इसके लिए मशीनरी और मशीनों की खरीद पर सब्सिडी दे सकते हैं।

पंजाब में 2,265 करोड रुपये सब्सिडी की जरूरत

इस एक्शन प्लान के मुताबिक, पंजाब को 50 फीसद सब्सिडी देने के लिए 2,265 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। पराली की मंचिंग और कलेक्शन के लिए स्थायी विकास एवं कारोबार मॉडल बनाने की सिफरिश की गई है। इसके लिए उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी रिपोर्ट में सुझाए गए हैं। इसके मुताबिक उद्यमी, सेवा प्रदाता, को प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कार देने, स्थानीय स्तर पर मॉनिटरिंग और पुरस्कार, पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए गाव की पंचायत को भी पुरस्कृत किया जाए।

सीपीसीबी के सदस्य सचिव ए. सुधाकर की मानें तो पराली निपटान को लेकर जो सुझाव रिपोर्ट में दिए गए हैं, उनमें गाव तथा उद्यमियों सभी का ध्यान रखा गया है। अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट मंजूरी के लिए पर्यावरण मंत्रालय को भेजी जाएगी।

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