आशिमा शुक्ला ने बताये परीक्षा के तनाव को दूर भागने के तरीके

न्यूज़ डेस्क : यह साल का वह समय है, जब बच्चे और पैरंट्स दोनों तनावग्रस्त होते हैं। इस समय परीक्षाएं नजदीक है और छात्रों का लक्ष्य परीक्षाओं में ज्यादा से ज्यादा नंबर हासिल करने का होता है। एग्जाम में ज्यादा से ज्यादा नंबर लाने की फिक्र में छात्र और उनके माता-पिता तनाव में घिर जाते हैं। चूंकि परीक्षाएं बेहद जरूरी है और इन्हें टाला नहीं जा सकता, मनौवैज्ञानिक डॉक्टर आशिमा शुक्ला टाटा स्काई फैमिली हेल्थ के पोर्टल पर बच्चों और अभिभावकों को यह बताया  कि वह परीक्षा के दिनों में किस तरह तनाव से दूर रह सकते हैं।

 

एग्जाम को एक रूटीन काम के रूप में लेना चाहिए। किसी भी छात्र के लिए इसे सकरात्मक रूप से लेना बहुत जरूरी है। भारत में पहली माइंड बॉडी मेडिसिन और बीएएच (बायो रेजोनेंस एनालिसिस ऑफ हेल्थ) प्रैक्टिशनर डॉक्टर आशिमा शुक्ला कहती हैं, “थोड़े से तनाव में रहना उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपनी परफॉर्मेस को निखारने के लिए अच्छा है, हालांकि अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट काउंसिल की एक रिसर्च में कहा गया कि आठ फीसदी बच्चे परीक्षाओं से केवल इसलिए टेंशन में थे क्योंकि उनके माता-पिता तनाव ले रहे थे। अभिभावकों को बच्चों के लिए परीक्षा के दिनों में सेहतमंद माहौल बनाना चाहिए और अपने बच्चों पर परीक्षा के दिनों में किसी तरह का कोई दबाव नहीं डालना चाहिए।“

 

आशिमा ने बच्चों को एग्जाम के तनाव से बचाने के लिए पैरंट्स को कुछ टिप्स भी दिए हैं –

बच्चों को रिलैक्स होने की इजाजत दीजिए

एग्जाम में बच्चों को पढ़ाई के दौरान कुछ समय का ब्रेक देना चाहिए, जिसमें बच्चों को अपने मनपसंद काम करने का मौका मिल सके। परीक्षा के दिनों में पर्याप्त आराम करना और सोना भी बहुत जरूरी है। पढ़ाई से छोटे-छोटे ब्रेक देकर जहां आप बच्चों का एनर्जी लेवल बढ़ाएंगे, वहीं इससे बच्चों की याददाश्त भी तेज होगी।  

अपने आप को भी शांत रखिए

बच्चों की परीक्षा के दौरान पैरंट्स को पूरी तरह शांत रहना चाहिए और परीक्षा में बच्चे की जरूरतों को समझना चाहिए। बच्चों के दिमाग से परीक्षा का खौफ या डर निकालने के लिए पैरंट्स को उनसे बातचीत करनी चाहिए। पैरंट्स, टीचर और अपने अच्छे दोस्तों के साथ बच्चे अपनी प्रॉब्लम शेयर कर सकते हैं और उनका हल भी उन्हें आसानी से मिल सकता है।

कभी तुलना मत कीजिए

बच्चे की कभी भी उसके भाई-बहन या अन्य दोस्तों से तुलना नहीं करनी चाहिए। हालांकि कुछ पैरंट्स समझते हैं कि बच्चों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है, लेकिन पैरंट्स को दो बच्चों के बीच लगातार तुलना कर उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।

नंबरों से कॅरियर नहीं बनता

पैरंट्स को बच्चों को अपनी पसंद और दिलचस्पी के कार्य करने की इजाजत देनी चाहिए और बच्चों पर ज्यादा से ज्यादा नंबर लाने के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए। इसके लिए पैरंट्स को पहले इस डर से तनावमुक्त होना पड़ेगा कि बच्चों के परीक्षा में अच्छे नंबर न आए तो क्या होगा। इससे बाद ही वह अपने बच्चों को तनाव मुक्‍त कर सकते हैं। पैरंट्स के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि उनका बच्चा किस फील्ड में अच्छा है। आजकल के जमाने में केवल परीक्षाएं ही एक ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां आपके बच्चे चमक सकते हैं।

बच्चों में एनर्जी फिर से भरने के लिए कुछ एक्सरसाइज जरूरी:

परीक्षा में शरीर और दिमाग को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए कसरत या अन्य कोई शारीरिक गतिविधि बहुत जरूरी है। इससे तनाव दूर होता है। एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है और शरीर को दोबारा नई ऊर्जा मिलती है। बच्चों को दिन में कम से कम 20-25 मिनट योग और ध्यान करना चाहिए। 

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