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समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 18 जून -जब भारत अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को भेजने की तैयारी कर रहा है, उसी समय एक अनोखी और दिल को छू लेने वाली अंतरराष्ट्रीय साझेदारी आकार ले रही है। इस कहानी के केंद्र में हैं इज़रायल के अंतरिक्ष यात्री एयतन स्टिब्बे, जो 2022 में Axiom-1 मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं। अब स्टिब्बे भारत के प्रति एक अद्वितीय मित्रता और समर्थन का हाथ बढ़ा रहे हैं—खासतौर पर लखनऊ के बच्चों की ओर, जो ग्रुप कैप्टन शुक्ला का गृह नगर है।
इस पहल के तहत दोनों अंतरिक्ष यात्री मिलकर एक ऐसा शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं, जो भारतीय छात्रों के मन में अंतरिक्ष के प्रति जिज्ञासा और उत्साह की नई लौ जला देगा।
अंतरिक्ष में पनपी दोस्ती
यह सहयोग की भावना पहली बार अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में वार्षिक अंतरिक्ष यात्री सम्मेलन में जन्मी, जब एयतन स्टिब्बे और शुभांशु शुक्ला की पहली मुलाकात हुई। स्टिब्बे ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने मिशन के दौरान इज़रायल में बच्चों को अंतरिक्ष से जोड़ने वाले कार्यक्रम शुरू किए थे। इस विचार से प्रेरित होकर, शुक्ला ने तुरंत इसे भारत में दोहराने का प्रस्ताव रखा—और शुरुआत होनी थी उनके अपने स्कूल, सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS), लखनऊ से।
सीएमएस ने इस प्रस्ताव का पूरे उत्साह से स्वागत किया। अब यहां एक “मिशन कंट्रोल” अनुभव तैयार किया जा रहा है, जहां छात्र ग्रुप कैप्टन शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा को लाइव ट्रैक कर सकेंगे, वीडियो फीड के ज़रिए देख सकेंगे और इंटरएक्टिव लर्निंग गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे जो अंतरिक्ष जीवन की झलक देती होंगी।
Axiom-1 मिशन: विज्ञान से कहीं आगे
एयतन स्टिब्बे की अंतरिक्ष यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक थी। वे इज़रायल के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने—पहले थे उनके मित्र इलान रामोन, जो 2003 में कोलंबिया शटल हादसे में काल के गाल में समा गए थे। स्टिब्बे के लिए यह मिशन सिर्फ विज्ञान नहीं, बल्कि पूरे देश में अंतरिक्ष के प्रति उत्साह और भागीदारी की एक नई लहर जगाने का साधन था।
सरकारी अंतरिक्ष यात्रियों के विपरीत, स्टिब्बे ने अपना पूरा मिशन स्वयं वित्तपोषित किया। “यह मेरे लिए एक तरह का दान था,” उन्होंने कहा। इस मिशन से इज़रायल की यूनिवर्सिटीज़, अस्पतालों और वैज्ञानिक संस्थाओं को अपने प्रयोग अंतरिक्ष में भेजने का दुर्लभ अवसर मिला।
उनका मिशन केवल विज्ञान तक सीमित नहीं था—बल्कि शिक्षा, कला और दर्शन को जोड़ते हुए एक समावेशी यात्रा थी। “हमने बच्चों, वैज्ञानिकों और दार्शनिकों से सुझाव लेकर एक ऐसा मिशन तैयार किया जिसमें पूरा देश भागीदार बना,” स्टिब्बे ने कहा।
एक श्रद्धांजलि: रामोन और कल्पना चावला को
इस मिशन की भावना और उद्देश्य केवल वैज्ञानिक नहीं थे—बल्कि गहरे व्यक्तिगत और भावनात्मक भी थे। एयतन स्टिब्बे के प्रिय मित्र इलान रामोन की 2003 में कल्पना चावला के साथ हुई कोलंबिया शटल दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। “उन्होंने भी विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश वे लौट नहीं सके,” स्टिब्बे ने कहा।
इस क्षति ने इज़रायल में अंतरिक्ष अन्वेषण को लेकर भावनात्मक जटिलता पैदा कर दी थी। स्टिब्बे के मिशन का उद्देश्य इस दर्द को आशा में बदलना था—नई पीढ़ियों को प्रेरित करना और यह दिखाना कि अंतरिक्ष सपनों की दुनिया भी है।
भारत-इज़रायल: बच्चों को जोड़ती एक नई पहल
शुक्ला और स्टिब्बे की यह पहल केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं है—बल्कि दो संस्कृतियों के बीच पुल है। इसके माध्यम से भारतीय बच्चे न केवल अंतरिक्ष के बारे में सीखेंगे, बल्कि सहयोग, वैश्विक नागरिकता और साझा भविष्य के बारे में भी अनुभव करेंगे।
“हम बच्चों के लिए ऐसा वातावरण बनाना चाहते हैं जहाँ वे सवाल पूछें, उत्सुक हों, और अंतरिक्ष को सजीव रूप में अनुभव करें,” स्टिब्बे ने कहा। लाइव वीडियो के माध्यम से छात्र देख पाएंगे कि कैसे अंतरिक्ष यात्री सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में काम करते हैं, तैरते हैं, और जीवन जीते हैं।
यह अनुभव न केवल शिक्षण पद्धतियों को बदल सकता है, बल्कि छात्रों में वैज्ञानिक सोच और करियर की दिशा भी तय कर सकता है।
वैश्विक असर और भविष्य की साझेदारी
यह पहल अब केवल शैक्षणिक दायरे में सीमित नहीं रह गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गहरी मित्रता के चलते, ऐसी जन-जन की साझेदारियाँ दोनों देशों के संबंधों को और भी मजबूत बना रही हैं।
“भारत और इज़रायल एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं—चाहे वह शिक्षा हो या अंतरिक्ष मिशन। हम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बारीकी से देख रहे हैं और भविष्य में और सहयोग की आशा करते हैं,” स्टिब्बे ने कहा।
जब पृथ्वी को देखा अंतरिक्ष से
अंतरिक्ष से मिली सबसे अनमोल सीख क्या थी? इस पर स्टिब्बे कहते हैं, “जब आप ISS से पृथ्वी को देखते हैं, सूर्यास्त और सूर्योदय को महसूस करते हैं, तो समझ आता है कि हमारा ग्रह कितना नाज़ुक है। यही कारण है कि मैं स्थिरता (sustainability) और नई पीढ़ी को जागरूक करने में विश्वास करता हूं।”
जैसे ही लखनऊ के सीएमएस के बच्चे एक दिन अंतरिक्ष में अपने पुराने छात्र को तैरते देखेंगे, यह कहानी सिद्ध करेगी कि अंतरिक्ष केवल वैज्ञानिक गंतव्य नहीं—बल्कि अंतरराष्ट्रीय मित्रता, शिक्षा और प्रेरणा का ब्रह्मांड भी है।
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