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चेन्नई, 2 मई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने गुरुवार 1 मई को चेन्नई के चिन्ताद्रिपेट स्थित मई डे पार्क में मजदूर दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और राष्ट्र को एक समानतावादी समाज के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, “देश को सच्चे अर्थों में समानतावादी बनना चाहिए। यही हमारी नीति है, यही हमारा लक्ष्य है। हम हर पहल में इसी सोच को अपनाते हैं।” वे मजदूर दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्षों में राज्य सरकार ने ₹2,461 करोड़ रुपये की विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं असंगठित श्रमिकों के लिए लागू की हैं। इसके अतिरिक्त, गीग श्रमिकों के लिए एक स्वतंत्र कल्याण बोर्ड की स्थापना की घोषणा भी की गई है।
श्रमिकों के हितों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डीएमके सरकार का दृष्टिकोण संवाद और शांतिपूर्ण समझौते के माध्यम से श्रमिक मुद्दों को सुलझाने का है।
मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वस्त किया कि राज्य सरकार हमेशा श्रमिक वर्ग के साथ खड़ी रहेगी। उन्होंने इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि को भी याद किया, जिन्होंने अपने कार्यकाल में मई दिवस पर सभी श्रमिकों को वेतन सहित अवकाश देने का ऐतिहासिक आदेश पारित किया था।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा समानतावादी राष्ट्र की परिकल्पना प्रशंसनीय प्रतीत होती है, किंतु यह विचार तब खोखला प्रतीत होता है जब उनके पूर्व बयानों पर दृष्टि डाली जाए, जिनमें उन्होंने हिंदू धर्म और सनातन परंपराओं के प्रति विद्वेषपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है। एक सच्चे समानतावादी समाज की नींव सभी धर्मों और समुदायों के सम्मान पर आधारित होती है, न कि किसी विशेष पंथ को अपमानित करने पर। जब तक मुख्यमंत्री अपनी विचारधारा में सांस्कृतिक संतुलन और धार्मिक सहिष्णुता नहीं लाते, तब तक उनकी समानता की बात राजनीतिक बयानबाज़ी से अधिक कुछ नहीं मानी जा सकती।
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