भारत का जल-जवाबी वार! अब अफगानिस्तान से पाकिस्तान की ‘पानी की नब्ज’ दबाएगा भारत, तालिबान से बढ़ाई नजदीकी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 मई ।
पाकिस्तान पर एक और कड़ा प्रहार करने की तैयारी में भारत! इस बार युद्ध बंदूकों से नहीं, बल्कि पानी से लड़ा जाएगा। पाकिस्तान की जड़ें हिलाने के लिए भारत ने अब एक नया मोर्चा खोल दिया है — अफगानिस्तान से बहने वाले पानी पर लगाम कसने की तैयारी पूरी कर ली गई है। सूत्रों के अनुसार, भारत अब तालिबान सरकार से सीधा संपर्क बनाकर पाकिस्तान के लिए एक और संकट खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

जिस तरह से भारत पहले ही सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर पुनर्विचार कर चुका है, अब उसी तर्ज पर भारत अफगानिस्तान से बहने वाले पानी को भी रोकने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। जानकारी के अनुसार, यह पानी पाकिस्तान के कई सीमावर्ती क्षेत्रों की सिंचाई और जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है। अगर यह जलस्रोत बंद हो गया, तो पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ेगा, और उसका कृषि तंत्र चरमरा जाएगा।

जहां पूरी दुनिया तालिबान से दूरी बनाए हुए है, वहीं भारत ने कूटनीतिक चतुराई दिखाते हुए तालिबान से बातचीत के रास्ते खोल लिए हैं। यह कदम न केवल क्षेत्रीय रणनीति का हिस्सा है, बल्कि पाकिस्तान को चारों ओर से घेरने की योजना का भी अहम हिस्सा माना जा रहा है। भारत और तालिबान के बीच बढ़ती निकटता ने इस्लामाबाद में खलबली मचा दी है।

भारत की यह रणनीति ‘नो फायर, ऑल इम्पैक्ट’ की तर्ज पर है — बिना गोली चलाए दुश्मन की कमर तोड़ना। पहले सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक, फिर कश्मीर में धारा 370 हटाना, अब जल नीति के जरिए पाकिस्तान को पूरी तरह से घेरने की तैयारी है। कूटनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि आने वाले महीनों में भारत अफगानिस्तान की मदद से पाकिस्तान के लिए ‘पानी की तिजोरी’ बंद कर सकता है।

यह सवाल अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन भारत की ओर से किए जा रहे संपर्क और प्रस्तावों ने तालिबान को सोचने पर मजबूर जरूर कर दिया है। अफगानिस्तान को जल परियोजनाओं में भारत की तकनीकी सहायता, आर्थिक निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास का लाभ मिल सकता है — और बदले में पाकिस्तान को एक और करारा झटका।

यह साफ हो गया है कि भारत अब हर मोर्चे पर पाकिस्तान को घेरने के मूड में है। चाहे वह कूटनीति हो, सीमा हो या जल नीति — पाकिस्तान के लिए अब रास्ते आसान नहीं रहने वाले। आने वाले दिनों में भारत की इस ‘जलनीति’ का असर न सिर्फ इस्लामाबाद, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दिखाई देगा।

अब देखना यह होगा कि तालिबान किस ओर झुकता है — भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाता है या पाकिस्तान की परछाई में छुपा रहना चुनता है? लेकिन इतना तय है — पाकिस्तान पर एक और प्रहार तय है!

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