नई दिल्ली 24 मई – बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया डॉ. मुहम्मद यूनुस पर चुनावी रोडमैप घोषित करने और जल्द चुनाव कराने का जोरदार दबाव बढ़ गया है। सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने स्पष्ट रूप से दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है, जिससे यूनुस सरकार का तिलिस्म टूटने लगा है।
इसी बीच, छात्र संगठनों ने साफ शब्दों में कहा है कि जब तक चुनाव सुधार नहीं हो जाते और शेख हसीना के शासनकाल के कथित अपराधों की जांच व सजा नहीं दी जाती, वे किसी भी आम चुनाव को स्वीकार नहीं करेंगे।
दूसरी ओर, विपक्षी दल BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच चुनाव को लेकर चर्चा और सड़कों पर संघर्ष की रणनीतियां बन रही हैं।
छात्र संगठन बोले- न्याय नहीं मिला तो लोकतंत्र मजाक बन जाएगा
नेशनल सिटिजन पार्टी (NSP), जमात-ए-इस्लामी के स्टूडेंट विंग छात्र शिबिर और वामपंथी छात्र संगठनों ने एकमत होकर कहा है कि जब तक पिछली सरकार के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं की निष्पक्ष जांच नहीं होती, चुनाव का कोई मतलब नहीं।
एनसीपी के छात्र नेता नाहिद इस्लाम का कहना है कि अगर देश के सभी वर्ग इस तरह असहयोग करेंगे तो डॉ. यूनुस इस्तीफा दे देंगे। हमने उनसे अनुरोध किया है कि वे इस्तीफा न दें, लेकिन चुनाव से पहले न्याय जरूरी है।
BNP बोली- बिना चुनाव कोई भी सरकार अवैध
पूर्व पीएम खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने डॉ. यूनुस की सरकार से तुरंत चुनाव रोडमैप की मांग की है। पार्टी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि रोडमैप के बिना वर्तमान सरकार का समर्थन संभव नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, बीते सप्ताह BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच 4 बैठकें हुई हैं, जिनमें आंदोलन की रणनीति पर चर्चा हुई। सेना के दबाव में डॉ. यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई हैं।
वहीं चर्चा है कि वे चुनाव कराए बिना राजनीतिक दलों से बातचीत कर फिर से एक राष्ट्रीय सरकार बनाने की कोशिश कर सकते हैं। BNP ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव के बिना किसी भी राष्ट्रीय सरकार को वह वैध नहीं मानेगी।
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