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समग्र समाचार सेवा
चेन्नई, 17 जून – तमिलनाडु में एक प्रेम विवाह ने ऐसा तूफान खड़ा कर दिया कि राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को हिरासत में लेना पड़ा, एक विधायक की पेशी अदालत ने अनिवार्य कर दी, और एक 16 वर्षीय नाबालिग का अपहरण तक हो गया। मामला जितना सीधा दिखता है, असलियत उससे कहीं ज्यादा खतरनाक और चौंकाने वाली है।
यह पूरा घटनाक्रम एक 22 वर्षीय युवक और उसकी प्रेमिका की शादी से जुड़ा है। लड़की के पिता वानराजा को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। अपनी बेटी की मर्जी को दबाने के लिए वानराजा ने पुलिस की पूर्व कांस्टेबल महेश्वरी से संपर्क किया, जो पहले ही सेवा से बर्खास्त हो चुकी थी। अब कहानी में एंट्री होती है एडीजीपी एचएम जयराम की — जी हाँ , एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी!
महेश्वरी ने कथित रूप से एडीजीपी जयराम को इस ‘पारिवारिक समस्या’ में मदद के लिए राजी किया, और फिर जयराम ने सहायता माँगी विधायक पूवाई जगनमूर्ति से, जो पुराची भारतम पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। जब लड़की का पति नहीं मिला, तो विधायक के गुर्गों ने उसके 16 साल के छोटे भाई का अपहरण कर लिया।
लेकिन यहाँ से शुरू होती है इस केस की सबसे बड़ी सनसनी:
अपहरण के बाद जब पीड़ित की माँ पुलिस के पास पहुँची , तो कुछ ही समय में बच्चा वापस आ गया — लेकिन एडीजीपी जयराम की कार में! और कार चला कौन रहा था? एक ड्यूटी पर तैनात सिपाही! कार में महेश्वरी और लड़की का पिता वानराजा भी मौजूद थे। यह सिर्फ एक अपहरण नहीं, बल्कि पुलिस, राजनीति और निजी स्वार्थों की साजिश बनकर सामने आया।
मद्रास हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए विधायक को लताड़ लगाई — “क्या आप पुलिस जाँच से डरते हैं? एक विधायक को आदर्श बनना चाहिए, न कि ‘कंगारू कोर्ट’ चलाना!” अदालत ने स्पष्ट किया कि विधायक को बिना किसी पार्टी कैडर के पेश होना होगा।
इस प्रकरण में वित्तीय लेन-देन की भी बात सामने आई है, जो संकेत देता है कि यह पूरा ऑपरेशन सिर्फ भावनाओं या ‘इज्जत’ का मामला नहीं, बल्कि एक बड़ा षड्यंत्र था।
विधायक जगनमूर्ति, जो 2021 में एआईएडीएमके के सिंबल पर चुनाव जीत चुके हैं, ने इन आरोपों से इनकार किया है। लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई को उनकी जांच में सहयोग पर निर्भर बताया है।
एक प्रेम विवाह, जो सामान्यत: दो दिलों के मिलन की कहानी होती है, यहाँ सत्ता, पुलिसिया दबाव और अपहरण की गहरी साजिश में तब्दील हो गया। सवाल यह है कि जब संविधान और कानून के रक्षक ही कानून तोड़ने लगें, तो आम जनता किस पर भरोसा करे?
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