क्या भारतीय वेतनभोगी मध्यवर्ग का अंत हो रहा है? विशेषज्ञों की भविष्यवाणी और भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य

भारतीय वेतनभोगी मध्यवर्ग, जो लंबे समय से देश की आर्थिक प्रगति की रीढ़ रहा है, अब एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। बढ़ती महंगाई, नौकरी की अनिश्चितता, और जीवन यापन की लागत में वृद्धि ने इस वर्ग की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया है। हाल के विश्लेषणों और बाजार विशेषज्ञों की राय से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यदि सुधार नहीं हुआ, तो यह वर्ग धीरे-धीरे अपनी आर्थिक शक्ति खो सकता है।

मध्यवर्ग की वर्तमान स्थिति

2024 में भारत में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेज़ वृद्धि देखी गई, जिससे उपभोक्ता खर्च में भारी कमी आई है। उपभोक्ता वस्त्र, घरेलू उपयोग की वस्तुएं, और अन्य दैनिक ज़रूरत की चीज़ों की बिक्री प्रभावित हुई है। इसका सीधा असर वेतनभोगी वर्ग की जीवनशैली पर पड़ा है। लोग अब बचत को प्राथमिकता दे रहे हैं और गैर-ज़रूरी खर्चों से बच रहे हैं।

सरकार की पहल और भविष्य की दिशा

हालांकि, सरकार ने आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर दरों में कुछ राहत देने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य वेतनभोगी वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाना और खपत को प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल सेक्टर में निवेश के ज़रिए नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न किए जा रहे हैं, जिससे मध्यवर्ग को राहत मिल सकती है।

विशेषज्ञों की राय

कई बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय मध्यवर्ग पूरी तरह खत्म नहीं होगा, लेकिन उसके स्वरूप में बदलाव अवश्य आएगा। आने वाले वर्षों में यह वर्ग ज्यादा सतर्क, डिजिटल रूप से सशक्त और निवेश-संबंधी निर्णयों में अधिक समझदार होगा। यदि सरकार की योजनाएं ज़मीन पर सही ढंग से लागू होती हैं, तो यह वर्ग फिर से सशक्त हो सकता है।

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