आरुषि मर्डर का रहस्य कायम, आखिर क्या हुआ था फ्लैट ‘एल-32’ में उस रात

नोएडा । देश-दुनिया में चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिता डॉ. राजेश और मां नूपुर तलवार को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। 15-16 मई, 2008 की रात में हुए इस रहस्यमय हत्याकांड में गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ ने 26 नवंबर, 2013 को राजेश और नूपुर तलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ तलवार दंपती ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी। तलवार दंपति इस समय गाजियाबाद के डासना जेल में सजा काट रहे हैं।

नोएडा के मशहूर डीपीएस में पढ़ने वाली आरुषि के कत्ल ने पास पड़ोस के लोगों से लेकर पूरे देश को झकझोर दिया था। इसके बाद से अदालत भी चौंकाने वाले फैसले सुना रही है। पहले तलवार दंपती तो सजा हुई फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी होना भी चौंकाने वाला फैसला रहा।

बड़ा सवाल आरुषि को किसने मारा

नोएडा के जलवायु विहार में रहने वाली महज 14 साल की नाबालिग लड़की आरुषि तलवार की 15 रात-16 मई, 2008 की आधी रात को हत्या कर दी गई थी। कुछ घंटों बाद पता चला कि उसी घर में काम कर रहे नौकर हेमराज (45) का भी मर्डर हो गया है। फिर यह मामला डबल मर्डर में तब्दील हो गया। हालांकि, आरुषि के पिता ने आरुषि को मारने का आरोप घर के नौकर हेमराज पर लगाते हुए मामला पुलिस थाने मे दर्ज कराया था।

जांच के दौरान पहले ही दिन से इस मामले में एक-एक कर इतने नाटकीय घटनाक्रम सामने आए कि पूरा मामला क्रिसी थ्रिलर फिल्म जैसा हो गया। सबसे पहले हत्या के तुरंत बाद घर के नौकर हेमराज पर जाहिर किया गया, लेकिन अगले दिन जब हेमराज की लाश घर की छत पर मिली तो ये पूरा मामला घूम गया।

जांच में सीबीआइ के मुताबिक, आरुषि और हेमराज का हत्यारा कोई बाहरी व्यक्ति नहीं था। उन्होंने कहा कि हेमराज का शव आरूषि के कमरे से खींचकर छत पर लाया गया। जहां इसे एक कूलर पैनल से ढंककर रखा गया था और छत को जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा था।

हत्या के समय घर पर ही थे माता-पिता

15-16 मई,2008 की रात मे अारुषि की हत्या के समय माता-पिता घर में ही मौजूद थे। सीबीआई के मुताबिक, अपराध स्थल की पूरी तरह सफाई की गई थी और किशोरी लड़की के शव को चिकित्सक राजेश और नूपुर तलवार ने अपराध की रात को साफ किया था।

हत्या के समय जाग रहे थे आरुषि के माता-पिता

जांच के दौरान अपराध स्थल की सफाई बात सामने आई थी। हैरानी की बात है कि जिस बिस्तर पर आरुषि का शव पाया गया था, उसपर एक भी सिलवट नहीं थी।

सीबीआई ने यह भी दलील दी थी कि सेवा प्रदाता के अनुसार इंटरनेट राउटर को वारदात की रात खोला-बंद किया गया था। इससे साफ जाहिर होता है कि आरुषि के माता-पिता जाग रहे थे और इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे और वे आरुषि के कमरे में हो रही घटनाओं के बारे में जान रहे थे।

News Source: jagran.com

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