केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा- भारत ने केवल दो वर्षों में चार स्वदेशी टीके विकसित किए हैं

डीबीटी ने "मिशन कोविड सुरक्षा" के माध्यम से चार टीके वितरित किए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम मार्गदर्शन और नेतृत्व में कोवैक्सिन के निर्माण को बढ़ाया

ये चार टीके हैं- विश्व का पहला व भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए टीका– जायकोव-डी, भारत का पहला प्रोटीन सबयूनिट टीका- कॉर्बेवैक्स, विश्व का पहला व भारत का स्वदेशी रूप से विकसित एमआरएनए टीका- जेमकोवैक-19 और विश्व का पहला व भारत की स्वदेशी रूप से विकसित इंट्रानेजल कोविड-19 टीका- इन्कोवैक

मिशन कोविड सुरक्षा के तहत टीके के विकास के साथ-साथ विभिन्न कोविड-19 टीका विकास गतिविधियों को लेकर विशेषज्ञ वैज्ञानिक और तकनीकी निरीक्षण व निगरानी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई

“मिशन कोविड सुरक्षा” ने भारत बायोटेक के मालूर केंद्र और हैदराबाद स्थित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड में कोवैक्सिन के निर्माण को बढ़ाने के लिए विनिर्माण केंद्रों के संवर्द्धन का भी समर्थन किया

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम मार्गदर्शन और नेतृत्व में भारत ने केवल दो वर्षों में चार स्वदेशी टीके विकसित किए हैं। उन्होंने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने “मिशन कोविड सुरक्षा” के माध्यम से चार टीके वितरित किए, कोवैक्सिन के निर्माण को संवर्द्धित किया और भविष्य में टीकों के सुचारू विकास के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया, जिससे हमारा देश महामारी के लिए तैयार रहे। इन टीकों को विभिन्न पक्षों के सहयोग से विकसित किया गया।

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ये चार टीके हैं- विश्व का पहला व भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए टीका- जायकोव-डी, भारत का पहला प्रोटीन सबयूनिट टीका- कॉर्बेवैक्स, विश्व का पहला व भारत का स्वदेशी रूप से विकसित एमआरएनए टीका- जेमकोवैक-19 और विश्व का पहला व भारत की स्वदेशी रूप से विकसित इंट्रानेजल (नाक के माध्यम से) कोविड-19 टीका- इन्कोवैक।

इंट्रानेजल कोविड टीके को औपचारिक रूप से जारी किए जाने के बाद मंत्री ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव श्री राजेश गोखले और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक के बाद उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत टीके के विकास के साथ-साथ विभिन्न कोविड-19 टीका विकास गतिविधियों के लिए विशेषज्ञ वैज्ञानिक और तकनीकी निरीक्षण व निगरानी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह रेखांकित किया कि महामारी संकट को देखते हुए मोदी सरकार ने कोविड-19 टीके के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और इसके इसके अनुरूप भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज के तहत कुल 900 रुपये की लागत से “मिशन कोविड सुरक्षा” की घोषणा की थी। मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य त्वरित तरीके से सुरक्षित, प्रभाव उत्पन्न करने वाले, सस्ते और स्वदेशी कोविड-19 टीकों के विकास को सक्षम बनाना है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस पर जोर दिया कि “मिशन कोविड सुरक्षा” ने भारत बायोटेक के मालूर केंद्र और हैदराबाद स्थित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड में कोवैक्सिन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विनिर्माण सुविधाओं के विस्तार को लेकर भी सहायता की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि बिना देरी किए टीका वितरण के लिए “मिशन कोविड सुरक्षा” को एक मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मॉडल को विकसित करने और वैज्ञानिक समुदाय के साथ काम करने सहित टीका निर्माताओं को कम समय में टीके का निर्माण करने को लेकर, जिसकी हमारे देश और वैश्विक समुदाय को भी जरूरत थी, के लिए डीबीटी के पास जरूरी ताकत और बुनियादी ढांचा उपलब्ध है।

इसके अलावा मंत्री ने कहा कि टीका अनुसंधान और विकास में तीन दशक से अधिक के अपने अनुभव के साथ डीबीटी के पास पहले से ही अपने स्वायत्त संस्थानों और एक उद्योग-अकादमिक इंटरफेस एजेंसी, यानी कि बीआईआरएसी के माध्यम से त्वरित टीका विकास को सक्षम करने के लिए बुनियादी वैज्ञानिक ताकत है। इसे देखते हुए ही बीआईआरएसी के माध्यम से इस मिशन के कार्यान्वयन का नेतृत्व डीबीटी को सौंपा गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने संक्रमण के प्रबंधन और इसे रोकने के मामले में वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के सामने गंभीर चुनौतियां उत्पन्न की हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने वैश्विक स्तर पर बेहतर नेतृत्व करने और महामारी के प्रबंधन की सोच के लिए भारत सरकार की प्रशंसा की।

मिशन कोविड सुरक्षा के तहत समर्थित 4 कोविड-19 टीकों का विवरण, जिन्हें आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) प्राप्त है, निम्नलिखित हैं:

1. विश्व का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए टीका- जायकोव-डी

इसने 20 अगस्त, 2021 को 12 साल और उससे अधिक आयु समूह में उपयोग के लिए और इसके बाद 26 अप्रैल, 2022 को 2-खुराक लगाने को लेकर ईयूए प्राप्त किया।

2. भारत का पहला प्रोटीन सब-यूनिट टीका- कॉर्बोवैक्स

इसने 29 दिसंबर 2021 को 18 साल से अधिक आयु वर्ग, 22 फरवरी 2022 को 12-18 वर्ष आयु समूह में उपयोग के लिए और 26 अप्रैल 2022 को 5-12 वर्ष आयु समूह में उपयोग के लिए ईएयू प्राप्त किया। साथ ही, तीसरे यानी एहतियाती खुराक के लिए 4 जून, 2022 को ईएयू मिला।

3. विश्व का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित एमआरएनए टीका- जेमकोवैक-19

इसने 28 जून, 2022 को ईयूए प्राप्त किया।

4. विश्व का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित इंट्रानेजल कोविड-19 टीका- इन्कोवैक

इसने 6 सितंबर, 2022 को प्राथमिक श्रृंखला में 18 साल व उससे अधिक आयु के लिए और 25 नवंबर, 2022 को सदृश और विषम बूस्टर के रूप में ईयूए प्राप्त किया।

डीबीटी के सचिव श्री गोखले ने बताया कि मिशन कोविड सुरक्षा के तहत समर्थित नैदानिक परीक्षण स्थलों ने जायकोव-डी, कोवोवैक्स, जेमकोवैक-19, कॉर्बेवैक्स, कोवैक्सिन बूस्टर, आरबीसीजी (सीरम इंस्टीट्यूट) और जेएंडजे के कोविड टीके के नैदानिक परीक्षणों की सुविधा प्रदान की है। लगभग 1.5 लाख लोगों के एक इलेक्ट्रॉनिक स्वयंसेवी डेटाबेस को भी तैयार किया गया है।

डीबीटी के अधीन स्वायत्त संस्थानों जैसे कि एनिमल चैलेंज केंद्र और प्रतिरक्षा प्रयोगशालाओं ने टीका निर्माताओं को महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान कीं।

फरीदाबाद स्थित डीबीटी की एक स्वायत्त संस्थान ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई) ने जायकोव-डी और कॉर्बोवैक्स के लिए हैम्स्टर मॉडल और न्यूट्रलाइजेशन परीक्षण की पेशकश की।

टीएचएसटीआई जैव परीक्षण प्रयोगशाला को वैश्विक सीईपीआई नेटवर्क की 7 प्रयोगशालाओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई है।

नई दिल्ली स्थित डीबीटी की एक स्वायत्त संस्थान- राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) ने इन्कोवैक चरण- III नैदानिक परीक्षणों के लिए इम्यूनोजेनेसिटी (प्रतिरक्षाजनकता) परीक्षण सेवाएं प्रदान की है।

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