केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बीच नवंबर, 2021 में हस्ताक्षरित और भारत सरकार (व्यवसाय के लेन-देन) नियम, 1961 की दूसरी अनुसूची के नियम 7 (डी) (i) के अनुरूप समझौता ज्ञापन (एमओयू) के बारे में अवगत कराया गया।

समझौता ज्ञापन (एमओयू) के उद्देश्य:

इस एमओयू के तहत भारतीय वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं के लिए क्षमता निर्माण, अंतरराष्ट्रीय मानकों व नियामक की जरूरतों के अनुरूप डेटा का संग्रह, अपनी निधि के उपयोग और न्यायसंगत व संप्रभुता के सिद्धांतों का अनुपालन करते हुए क्षमता विकास के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र बनने की दिशा में भारत का विकास, आईसीएमआर में परिणाम प्राप्त करने के लिए आईडीडीओ (इन्फेक्सस डिजीज डेटा अब्जर्वटॉरी) सचिवालय की समयबद्ध मेजबानी के साथ संयुक्त रूप से निधि जुटाना व इसे साझा करना, डेटा में व उससे परे साझेदारी का निर्माण और न्याय संगतता व पारदर्शिता के साथ कौशल को साझा करना हैं।

दोनों पक्षों ने उन्मूलन के चरण में तीन वेक्टर जनित रोगों (मलेरिया, विसरल लीशमैनियासिस यानी काला अजार, फाइलेरिया) व उभरते संक्रमणों पर विचारों के आदान-प्रदान व साझा करने, डेटा प्रबंधन के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं की सहायता व विकास करने, डेटा डॉक्यूमेंटेशन (दस्तावेजीकरण), डेटा को साझा करने व न्यायसंगत शासन ढांचे का विकास, अनुसंधान कार्यक्रमों पर सहयोग के अवसरों का पता लगाने व क्षमता सुदृढ़ीकरण पर तीन वर्षीय कार्य योजना विकसित करने, शोधकर्ताओं का आदान-प्रदान और डेटा प्रबंधन व सांख्यिकीय विश्लेषण पर प्रशिक्षण के बारे में अपनी सहमति व्यक्त की है।

वित्तीय प्रभाव:

इस समझौता ज्ञापन के तहत परिकल्पित सहयोग के संबंध में हर एक पक्ष अपनी लागत खुद वहन करेगा। अगर कोई पक्ष बाद में इस समझौता ज्ञापन के तहत परिकल्पित गतिविधियों के एक हिस्से के लिए निधि प्राप्त करते हैं और उस निधि का एक हिस्सा दूसरे पक्ष को देने की मंशा है, तो इस स्थिति में विचाराधीन गतिविधि को शासित करने के लिए एक अन्य समझौते को क्रियान्वित किया जाएगा।

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