ठग लाइफ मूवी रिव्यू: कमल हासन और मणिरत्नम की ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ जैसी फिल्म एक सिनेमाई धैर्य-परीक्षा

कमल हासन और मणिरत्नम की बहुप्रतीक्षित फिल्म “ठग लाइफ” आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि इस फिल्म को देखने के लिए दर्शकों को न केवल टिकट बल्कि अपना धैर्य भी खर्च करना पड़ेगा।

“ठग लाइफ” एक राजनीतिक और पारिवारिक षड्यंत्रों से भरी कहानी है, जो एक गहरे ऐतिहासिक और पौराणिक फलक पर रची गई है। फिल्म की तुलना “गेम ऑफ थ्रोन्स” जैसे महाकाव्य से की जा रही है, लेकिन दुर्भाग्यवश, यह महज दृष्टिगत भव्यता तक ही सीमित रह जाती है।

कहानी और निर्देशन:

फिल्म की कहानी एक ऐसे योद्धा के इर्द-गिर्द घूमती है जो सत्ता, बदले और वफादारी के जाल में फंसा हुआ है। मणिरत्नम का निर्देशन भले ही तकनीकी रूप से मजबूत हो, लेकिन पटकथा बिखरी हुई और बेहद जटिल है, जो दर्शकों को जोड़ने में असफल रहती है।

हर दृश्य में राजनीतिक चालें, धोखे और गठजोड़ों का प्रदर्शन होता है, लेकिन भावना और जुड़ाव की कमी महसूस होती है। कई बार लगता है कि निर्देशक ने कहानी से अधिक शैली को तरजीह दी है।

अभिनय:

कमल हासन अपने किरदार में पूरी गंभीरता लाते हैं, लेकिन उनके किरदार को जिस गहराई की आवश्यकता थी, वह स्क्रीनप्ले से नदारद है। जयम रवि, तृषा, और दुलकर सलमान जैसे कलाकारों की मौजूदगी फिल्म को संतुलन देने की कोशिश करती है, लेकिन सभी के किरदार अधूरे और सतही लगते हैं।

तकनीकी पक्ष:

फिल्म का वीएफएक्स, सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर शानदार है। रवि वर्मन की कैमरा वर्क और ए.आर. रहमान का संगीत फिल्म को विज़ुअली और ऑडियोविजुअली समृद्ध बनाता है, लेकिन जब भावनात्मक और कथात्मक गहराई की बात आती है, तो फिल्म चूक जाती है।

“ठग लाइफ” एक भव्य लेकिन बोझिल अनुभव है। मणिरत्नम और कमल हासन जैसे दिग्गजों की यह फिल्म तकनीकी रूप से उत्कृष्ट है लेकिन भावनात्मक रूप से दर्शकों से जुड़ नहीं पाती। यह एक ऐसी फिल्म है जो देखने में खूबसूरत है, लेकिन दिल को छूने वाली कहानी की कमी इसे एक सिनेमाई सहनशीलता की परीक्षा बना देती है।

रेटिंग: ⭐⭐☆☆☆ (2/5)

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