20 सालों के बाद दिखी राजपथ पर आईटीबीपी की झांकी

नई दिल्ली: भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानी कि आईटीबीपी की झांकी इस बार गणतंत्र दिवस परेड का एक विशेष आकर्षण रही. इस झांकी में ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों में बल द्वारा पेट्रोलिंग, बर्फ वाले क्षेत्र, पर्वतारोहण में बल की उपलब्धियां, रिवर राफ्टिंग तथा साहसिक खेलों तथा शीत वस्त्र उपकरणों आदि को दर्शाया गया है. इस झांकीके आगे वाले भाग पर स्नो स्कूटर को स्थापित किया गया था, साथ ही मध्य और पीछे के हिस्से में नदी या अवरोध पर करने, हिमालय में बचाव अभियानों में स्थानीय संसाधनों का कुशल उपयोग को डमी के माध्यम से दिखाया गया था.

आईटीबीपी के दो जवानों को बर्फ से ढकी हुई चोटी पर तिरंगा लहराते हुए दिखाया गया हैं जबकि कुछ जवान बर्फीले इलाके मे गश्त करते दिखाए गए हैं. एक अफसर को सीमा पर निगाह रखते हुए दिखाया गया है जिससे पता चलता है कि आईटीबीपी के जवान सीमा की सुरक्षा के प्रति कितने सतर्क है.

बल की महिला कर्मियों की टुकड़ी इस झांकी का हिस्सा रहीं, जो इसके साथ दोनों और मार्च करती दिखीं. बल ने वर्ष 2016 से महिला कर्मियों को भी हिमालय की सीमाओं पर तैनात किया है. झांकी के दौरान आईटीबीपी का बल गीत ‘हम सरहद के सेनानी’ झांकी की पृष्ठभूमि में सुनाई दिया. पर्वतारोहण में अग्रणी आईटीबीपी ने रिकॉर्ड 208 पर्वतारोहण अभियानों का सफल संचालन किया है. बल की झांकी अंतिम बार वर्ष 1998 में राजपथ पर दिखी थी तथा इसमें बल के विश्व स्तर के पर्वतारोहियों और विश्व की कुछ सबसे ऊँची चोटियों को प्रदर्शित किया गया था.

आईटीबीपी जम्मू कश्मीर के काराकोरम से अरुणाचल प्रदेश के जेचप ला तक हिमालय के 5 राज्यों की दुरूह मौसमी और धरातलीय सीमाओं की सुरक्षा हेतु तैनात है और इसकी चौकियां 3 हज़ार से 19 हज़ार फीट तक की ऊँचाइयों में स्थित हैं. इस बल का गठन 1962 में भारत और चीन के विवाद के बाद हुआ था. ये बल 3488 किलोमीटर में फैली भारत -चीन सीमा पर तैनात हैं.

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