वार्डों की संख्या बढने से आ रही पता खोजने में दिक्कत वार्डों की संख्या बढने से आ रही पता खोजने में दिक्कतभोपाल । जिला निर्वाचन कार्यालय की माने तो भोपाल जिले की सात विधानसभाओं की मतदाता सूची की जांच में अब तक 23 हजार से अधिक मतदाता कम हो गए हैं। यह संख्या 15 हजार और कम होगी। नाम न छापने की शर्त पर कुछ अधिकारियों ने कहा कि मल्टीपल एंट्री व मृतकों के नाम अभी तक हटे नहीं है, जांच के बाद ही पूरी रिपोर्ट सामने आएगी। वहीं वार्डों की संख्या में इजाफा होने से बीएलओ को मतदाताओं के पता खोजने में दिक्कतों को सामना करना पड रहा है।
बता दें कि वर्तमान में भोपाल जिले के सातों विधानसभाओं की मतदाता सूची सुधारने पर ही मुख्य फोकस है। इस सूची में भी केवल मृतक मतदाता और मल्टीपल एंट्री वाले मतदाताओं पर ही विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे मतदाताओं के घर घर जाकर बीएलओ पंचनामा बना रहे हैं ताकि बाद में किसी भी तरह का कोई इल्जाम न लगे कि उन्होंने मृतक और मल्टीपल एंट्री वाले मतदाताओं की जांच नहीं की। राजधानी के नरेला विधानसभा क्षेत्र सहित भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण पश्चिम, भोपाल मध्य और गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची की जांच करने में जुटे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को मतदाताओं का सर्वे करने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीएलओ को राजधानी की गलियां समझ में नहीं आ रही हे। जिसके चलते वे न तो पोलिंग बूथ के अनुसार दिए गए मतदाताओं के एरिये को समझ पा रहे ओर न ही वार्ड। लिहाजा एक वार्ड से दूसरे वार्ड में भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें वे मतदाता नहीं मिल पा रहे हैं,
जो उनके पोलिंग बूथों में आ रहे हैं। यह स्थिति केवल नरेला विधानसभा क्षेत्र में नहीं बल्कि नगर निगम सीमा के 85 वार्ड में बनी हुई है। हालांकि हुजूर व बैरसिया विधानसभा क्षेत्रों में 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र होने के चलते दिक्कतें कम हैं। मतदाता सूची में लोगों को घरों को तलाशने में खासी दि-तें पैदा होने का मुख्य कारण हैं, वार्ड नंबर। वर्ष 2014 में नगर निगम चुनाव से पहले वार्डों की संख्या को 70 से बढ़ाकर 85 किया गया था। ऐसे में मतदाता सूची के दर्ज मतदाताओं के वार्ड और नगर निगम के नवीन वार्ड की संख्या बदल गए। चार साल बाद जब बीएलओ नवीन वार्ड के आधार पर सर्वे कर रहे हैं तो मतदाता पुराने वार्ड के आधार पर आर्ड कार्ड रखे बैठे हैं, जिसके चलते गफलत पैदा हो रही है। पोलिंग बूथों के आधार पर कालोनियां तो मिल रही हैं, लेकिन वार्ड बदल जाने से बीएलओ कन्फ्यूज हो रहे हैं कि यह वहीं कालोनी हैं या नहीं?
वार्डों की संख्या बढने से आ रही पता खोजने में दिक्कत वार्डों की संख्या बढने से आ रही पता खोजने में दिक्कतभोपाल (ईएमएस)। जिला निर्वाचन कार्यालय की माने तो भोपाल जिले की सात विधानसभाओं की मतदाता सूची की जांच में अब तक 23 हजार से अधिक मतदाता कम हो गए हैं। यह संख्या 15 हजार और कम होगी। नाम न छापने की शर्त पर कुछ अधिकारियों ने कहा कि मल्टीपल एंट्री व मृतकों के नाम अभी तक हटे नहीं है, जांच के बाद ही पूरी रिपोर्ट सामने आएगी। वहीं वार्डों की संख्या में इजाफा होने से बीएलओ को मतदाताओं के पता खोजने में दिक्कतों को सामना करना पड रहा है। बता दें कि वर्तमान में भोपाल जिले के सातों विधानसभाओं की मतदाता सूची सुधारने पर ही मुख्य फोकस है।
इस सूची में भी केवल मृतक मतदाता और मल्टीपल एंट्री वाले मतदाताओं पर ही विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे मतदाताओं के घर घर जाकर बीएलओ पंचनामा बना रहे हैं ताकि बाद में किसी भी तरह का कोई इल्जाम न लगे कि उन्होंने मृतक और मल्टीपल एंट्री वाले मतदाताओं की जांच नहीं की। राजधानी के नरेला विधानसभा क्षेत्र सहित भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण पश्चिम, भोपाल मध्य और गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची की जांच करने में जुटे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को मतदाताओं का सर्वे करने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीएलओ को राजधानी की गलियां समझ में नहीं आ रही हे।
जिसके चलते वे न तो पोलिंग बूथ के अनुसार दिए गए मतदाताओं के एरिये को समझ पा रहे ओर न ही वार्ड। लिहाजा एक वार्ड से दूसरे वार्ड में भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें वे मतदाता नहीं मिल पा रहे हैं, जो उनके पोलिंग बूथों में आ रहे हैं। यह स्थिति केवल नरेला विधानसभा क्षेत्र में नहीं बल्कि नगर निगम सीमा के 85 वार्ड में बनी हुई है। हालांकि हुजूर व बैरसिया विधानसभा क्षेत्रों में 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र होने के चलते दिक्कतें कम हैं। मतदाता सूची में लोगों को घरों को तलाशने में खासी दि-तें पैदा होने का मुख्य कारण हैं, वार्ड नंबर। वर्ष 2014 में नगर निगम चुनाव से पहले वार्डों की संख्या को 70 से बढ़ाकर 85 किया गया था। ऐसे में मतदाता सूची के दर्ज मतदाताओं के वार्ड और नगर निगम के नवीन वार्ड की संख्या बदल गए। चार साल बाद जब बीएलओ नवीन वार्ड के आधार पर सर्वे कर रहे हैं तो मतदाता पुराने वार्ड के आधार पर आर्ड कार्ड रखे बैठे हैं, जिसके चलते गफलत पैदा हो रही है। पोलिंग बूथों के आधार पर कालोनियां तो मिल रही हैं, लेकिन वार्ड बदल जाने से बीएलओ कन्फ्यूज हो रहे हैं कि यह वहीं कालोनी हैं या नहीं?
Comments are closed.