उत्तराखंड के कोटद्वार सत्र न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उसके दो सहयोगियों — सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता — को रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में दोषी करार दिया है। यह फैसला 30 मई 2025 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रैना नेगी द्वारा सुनाया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
अंकिता भंडारी यमकेश्वर स्थित वनांतरा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थीं, जो पुलकित आर्य के स्वामित्व में था। 18 सितंबर 2022 को वह लापता हो गईं, जिसके बाद उनके परिवार ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
जांच में सामने आया कि अंकिता पर एक वीआईपी मेहमान को “अतिरिक्त सेवाएं” देने का दबाव डाला जा रहा था, जिसे उसने ठुकरा दिया था। पुलकित, सौरभ और अंकित ने इस मुद्दे पर अंकिता से बहस की और उसे चिल्ला नहर में धक्का दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। अंकिता का शव 24 सितंबर 2022 को बरामद हुआ था।
कानूनी कार्यवाही
न्यायालय ने तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की निम्नलिखित धाराओं के तहत दोषी पाया:
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धारा 302 – हत्या
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धारा 354 – महिला की लज्जा भंग करने हेतु हमला
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धारा 120बी – आपराधिक षड्यंत्र
अभियोजन पक्ष ने लगभग 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और 47 गवाहों की गवाही करवाई। सजा का ऐलान जल्द होने की संभावना है। अंकिता के परिजन दोषियों को फांसी की सज़ा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस केस ने इसलिए भी सुर्खियाँ बटोरीं क्योंकि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य एक पूर्व बीजेपी नेता का बेटा है। पुलकित के पिता विनोद आर्य, उत्तराखंड माटी कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। घटना के बाद बीजेपी ने विनोद आर्य और उनके दूसरे बेटे अंकित आर्य को पार्टी से निकाल दिया।
जनता के आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनांतरा रिज़ॉर्ट को ध्वस्त करने का आदेश दिया और राज्य में सभी रिसॉर्ट्स की जांच के आदेश भी दिए।
जनता की प्रतिक्रिया और विरोध प्रदर्शन
अंकिता की हत्या ने उत्तराखंड में व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। गुस्साए लोगों ने रिसॉर्ट के कुछ हिस्सों में आग लगा दी और न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए। यह मामला महिलाओं की सुरक्षा, पर्यटन उद्योग में शोषण और राजनीतिक रसूख के दुरुपयोग पर एक अहम चर्चा का विषय बना।
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