बॉलीवुड के प्रतिष्ठित निर्देशक अनुराग कश्यप ने हाल ही में सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर बॉलीवुड के सितारे ‘स्नैपचैट-इफिकेशन’ जैसी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं, तो हिंदी सिनेमा का भविष्य संकट में पड़ सकता है। यह टिप्पणी फिल्म के रिलीज़ के बाद सामने आई, जिसने दर्शकों और आलोचकों दोनों को निराश किया।
‘सिकंदर’ की विफलता और आलोचना
‘सिकंदर’, जो सलमान खान और निर्देशक AR मुरुगदॉस की जोड़ी के साथ बनाई गई थी, 30 मार्च 2025 को रिलीज़ हुई। फिल्म का बजट लगभग ₹200 करोड़ था, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर केवल ₹177 करोड़ ही कमा सकी, जिससे यह एक व्यावसायिक विफलता साबित हुई।
आलोचकों ने फिल्म की पटकथा और निर्देशन की कमी को उजागर किया। इंडियन एक्सप्रेस के समीक्षक रोहन नाहर ने लिखा, “यह फिल्म सिनेमा की मूल भावना को ही नष्ट कर देती है, और एक ऐसे दर्शक वर्ग को संतुष्ट करने की कोशिश करती है जिसकी ध्यान देने की क्षमता कम होती जा रही है।”
अनुराग कश्यप की चेतावनी
अनुराग कश्यप ने ‘सिकंदर’ जैसी फिल्मों को ‘स्नैपचैट-इफिकेशन’ का उदाहरण बताया, जहां फिल्में केवल सतही मनोरंजन तक सीमित रह जाती हैं और गहराई या नवाचार की कमी होती है। उन्होंने कहा कि यदि बॉलीवुड केवल स्टारडम और त्वरित लाभ पर ध्यान केंद्रित करता है, तो यह रचनात्मकता और कहानी कहने की कला को नुकसान पहुंचा सकता है।
सिनेमा का भविष्य: एक चिंतन
बॉलीवुड में वर्तमान में एक प्रवृत्ति देखी जा रही है जहां फिल्मों की गुणवत्ता की बजाय उनकी मार्केटिंग और स्टार पावर पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। यह प्रवृत्ति न केवल दर्शकों को बल्कि फिल्म निर्माताओं को भी प्रभावित कर रही है। अनुराग कश्यप जैसे निर्देशक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सिनेमा को उसकी मूल आत्मा—अर्थपूर्ण कहानी और रचनात्मकता—की ओर लौटना चाहिए।
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