वैज्ञानिकों ने अखरोट को ब्रेस्‍ट कैंसर से संबंधित जीन व्‍यवहार से जोड़ा

 नई दिल्‍ली, 2 अप्रैल 2019: मार्शल यूनिवर्सिटी के नये शोध में अखरोट के सेवन को ब्रेस्‍ट कैंसर की वृद्धि को कम करने और बचाव में योगदान देने के एक कारक के तौर पर माना गया है।

 

मार्शल यूनिवर्सिटी जोन सी. एडवर्ड स्‍कूल ऑफ मेडिसिन के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस में प्रोफसर, पीएचडी, डब्‍ल्‍यू. एलेन हार्डमैन के नेतृत्‍व में मार्शल यूनिवर्सिटी की एक टीम ने बताया कि हर दिन लगातार दो हफ्तों तक दो औंस (56.69 ग्राम) अखरोट का सेवन करने से ब्रेस्‍ट कैंसर्स में जीन व्‍यवहार में उल्‍लेखनीय बदलाव होता है। यह प्राथमिक दो दलीय क्‍लीनिकल ट्रायल, मार्शल यूनिवर्सिटी में आहारीय अखरोट से संबंधित शोधों की श्रृंखला में बिलकुल नया है, जोकि ट्यूमर की वृद्धि, बचाव और ब्रेस्‍ट कैंसर के स्‍वरूप में परिवर्तन से जुड़ा है। यह कार्य न्‍यूट्रिशन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित मार्च 10 पेपर में वर्णित है।

 

हार्डमैन ने कहा, ‘’अखरोट का सेवन करने से ब्रेस्‍ट कैंसर की वृद्धि धीमी हुई /या चूहे में मैमरी कैंसर के जोखिम को कम कर दिया’’। इस शोध के आधार पर हमारी टीम ने परिकल्‍पना की है‍ कि जिन महिलाओं में पैथोलॉजीकली ब्रेस्‍ट कैंसर की पुष्टि हुई है उनमें अखरोट खाने से जीन व्‍यवहार में बदलाव आया है। यह उनमें ब्रेस्‍ट कैंसर की वृद्धि को कम कर देगा और उनका बचाव होगा।‘’

 

इस पहले क्‍लीनिकल ट्रायल में, स्‍तन में बड़ी गांठों के साथ वाली महिलाएं शोध के लिये उपयुक्‍त थीं और उन पर पैथोलॉजी बायोप्‍सी की गयी और अखरोट खा रहे समूह या नियंत्रित समूह को असिलसिलेबार रूप से चुना गया। बायोप्‍सी कलेक्‍शन के तुरंत बाद, अखरोट समूह वाली महिलाओं ने हर दिन सर्जरी करवाने के बाद दो औंस(56.69 ग्राम)  अखरोट खाना शुरू कर दिया। पैथोलॉजिकल शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि सारी महिलाओं में गांठे ट्रायल में भी मौजूद थीं। सर्जरी में, बायोप्‍सी के दो हफ्तों बाद, ब्रेस्‍ट कैंसर्स से अधिक नमूने लिये गये।

 

बेसलाइन से सर्जिकल नमूनों की तुलना करने पर हर महिला में जीन व्‍यवहार में बदलाव पाया गया, अखरोट खाने वाला समूह (संख्‍या = 5) और नियंत्रित समूह (संख्‍या = 5 )। आरएनए सीक्‍वेंस व्‍यवहार वाले प्रोफाइलिंग में यह साबित हुआ कि अखरोट खाने से 456 ज्ञात ट्यूमर में जीन्‍स में उल्‍लेखनीय बदलाव आ गया था। इन्‍ज्‍यूनिटी पाथवे एनालिसिस में यह दर्शाया गया है कि ऐसे मार्ग जोकि एप्‍टोसिस और कोशिका के जुड़ाव को आगे बढ़ाते हैं तथा ऐसे मार्गों को बाधित करते हैं जोकि कोशिका के प्रसार और विस्‍तार को आगे बढ़ाते हैं, वह सक्रिय हो जाते हैं।

 

‘’ये परिणाम उस परिकल्‍पना को साबित करते हैं कि इंसानों में अखरोट खाने से ब्रेस्‍ट कैंसर की वृद्धि कम हो सकती है और उससे बचाव हो सकता है।‘’ यह बात हार्डमैन ने कही। ‘’बड़े पैमाने पर और भी शोध की आवश्‍यकता होगी जोकि यह पुष्‍ट कर सके कि अखरोट खाने से ब्रेस्‍ट कैंसर या ब्रेस्‍ट कैंसर के दोबारा होने का जोखिम कम हो जाता है ।‘’

 

यह शोध आधुनिक रिसर्च में टीम की एक महत्‍वपूर्ण भूमिका का उदाहरण है। ब्रेस्‍ट सर्जन मैरी लेंगेंज़ा, एमडी ऑफ मार्शल यूनिवर्सिटी जॉन सी. एडवर्ड स्‍कूल ऑफ मेडिसन तथा एडवर्ड कम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर और जेम्‍स मॉर्गन, सेंट मैरी मेडिकल सेंटर के पूर्व एमडी, ने वॉलिंटियर मरीजों के क्‍लीनिकल ट्रायल के लिये बायोप्‍सी इकट्ठा किये। मार्शल यूनिवर्सिटी जॉन सी. एडवर्ड स्‍कूल ऑफ मेडिसिन के डोनाल्‍ड ए. प्राइमरानो, पीएचडी, जून फैन, पीएचडी और जेम्‍स डेनविर, पीएचडी जिनोमिक्‍स एंड बायोइंर्फोटिक्‍स कोर फैसिलिटी ने आरएनए व्‍यवहार की प्रोफाइलिंग की तथा जैव सूचनात्‍मक विश्‍लेषण व सांख्यिकीय आंकड़ों का आकलन किया।

 

शोध के एक हिस्‍से को कैलिफोर्निया कमिशन (सीडब्‍ल्‍यूसी) ने वित्‍तपोषित किया, जिसने अखरोट मुहैया कराने के साथ ही आवश्‍यक फंडिंग भी प्रदान की। सीडब्‍ल्‍यूसी ने शो के डेवलपमेंट, आंकड़ों के आकलन या परिणामों को प्रकाशित करने के निर्णय को प्रभावित नहीं किया। सारे आंकडे़ ऑनलाइन उपलब्‍ध हैं। द नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ ने गैरी रेनकिन, पीएचडी, मार्शल यूनिवसिर्टी (एनआईएच/एनआईजीएमएस पी20जीएम103434) में जिनोमिक्‍स कोर के सहयोग से आर्थिक मदद की तथा डॉ. डेनविर, हार्डमैन व प्राइमरानो को मार्शल यूनिवसिर्टी (एनआईएच/एनआईजीएमएस पी20जीएम121299) में सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च एक्‍सीलेंस के माध्‍यम से सहयोग दिया।

 

 

 

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