सद्गुरु की 100-दिन की मिट्टी बचाओ यात्रा कावेरी घाटी में समाप्त हुई। 3.2 अरब लोगों ने मिट्टी के लिए बोला

74 देश, 8 भारतीय राज्य, 9 अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां मिट्टी बचाओ अभियान के साथ जुड़े

 कोयंबटूरः प्रसिद्ध आदियोगी के सामने, हजारों लोगों के जबरदस्त स्वागत के साथ, ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक, सद्गुरु ने कल अपनी 100 दिन की अकेली मोटरसाइकिल यात्रा को पूरा किया, जिसमें वह 27 देशों और 11 भारतीय राज्यों से होकर गुजरे। मिट्टी बचाओ अभियान के एक हिस्से के रूप में, अपनी 30,000 किमी की यात्रा से जब सद्गुरु वापस लौटे, तो उनका आरती से पारंपरिक भारतीय स्वागत किया गया और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और मशालों से रात्रि का आसमान जगमगा उठा। इस अभियान के फलस्वरूप पिछले तीन महीनों में 3.2 अरब लोगों ने मिट्टी के लिए बोला है।

अभियान के भविष्य के बारे में बोलते हुए सद्गुरु ने समझाया कि ‘खतरनाक यात्रा खत्म हो गई है लेकिन असली कठिन कार्य अब से शुरू हो रहा है,’ वह जीवन को खतरे में डालने वाली अपनी यात्रा की बात कर रहे थे, जिसमें उन्होंने पिछले 100 दिनों में 600 से अधिक सेव-सॉयल कार्यक्रमों में भाग लिया है। मिट्टी के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए नीतिगत कार्यवाही को ठोस रूप देने के लिए अगले कुछ महीनों में, सद्गुरु 20 से ज्यादा देशों की यात्रा करेंगे, जिसमें यूके, यूएसए और दक्षिण अमेरिकी और केरेबियन देश शामिल हैं। ‘12-18 महीनों में, हम ज्यादातर देशों पर किसी तरह की मिट्टी पुनरुद्वार नीति बनाने के लिए जोर डाल सकते हैं,’ सद्गुरु ने मिट्टी को बचाने के लिए सकारात्मक और नजदीकी कार्यवाही में अपना आत्मविश्वास व्यक्त करते हुए कहा।

अभियान का लक्ष्य, मिट्टी को पुनर्जीवित करने में, कृषि-भूमि में न्यूनतम 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व लाने के लिए, राष्ट्रीय नीतिगत परिवर्तन लाना है। ऐसे सुधार लाने के लिए लोगों की आवाज सबसे जरूरी पहलू है। सद्गुरु ने लोगों पर जोर डाला कि वे अगले एक साल तक मिट्टी के लिए, दुनिया को, किसी नए व्यक्ति को, कम से कम हर दिन दस मिनट बोलें, और इस यात्रा के साथ रुकें नहीं।

ईशा के स्वयंसेवियों को बधाई देते हुए सद्गुरु ने ट्वीट किया, ‘दुनिया भर में टीम-ईशा के प्रति जबरदस्त कृतज्ञता और बधाई, जिन्होंने साथ मिलकर अविश्वसनीय समर्पण और मकसद के साथ, हमारे समय के सेव-सॉयल अभियान को कार्यान्वित किया। मैं सारे संबद्ध लोगों से विनती करता हूँ कि जब तक आपके इलाकों में मिट्टी पुनरुद्धार नीतियां नहीं बन जातीं, जोश को बनाए रखें। – सद्गुरु’

https://twitter.com/SadhguruJV/status/1539492247346900993

सद्गुरु ने कल तमिलनाडु में प्रवेश किया, जहां उन्होंने सुलूर एयर फोर्स स्टेशन, कोयंबटूर में, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के साथ एक सेव-सॉयल कार्यक्रम में भाग लिया।

एयर फोर्स के लोगों को एक वर्चुअल संबोधन में, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सद्गुरु को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को जीवंत करने का श्रेय दिया। ‘उन्होंने दुनिया भर से बड़ी संख्या में लोगों को एक साथ जोड़कर एक नया पर्यावरण अभियान बनाया है।’ उपजाऊ ऊपरी मिट्टी सिर्फ 60 साल और चलेगी – इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए रक्षा मंत्री ने यह कह कर अभियान की सराहना की कि ‘सेव-सॉयल अभियान आशा की एक किरण लाया है, और यह विश्वास जगाता है कि जिन करोड़ों लोगों ने इस मकसद का समर्थन किया है, वह हमारी मिट्टी को बरकरार रखने में योगदान करेंगे।’

ट्विटर पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘ मैंने सुलूर में ईशा फाउण्डेशन द्वारा आयोजित सेव-सॉयल कार्यक्रम को संबोधित किया। सेव-सॉयल अभियान ने, मिट्टी से जुड़े मुद्दों पर लोगों के बीच एक जागरूकता पैदा की है और उन्हें आने वाले समय में मिट्टी के स्वास्थ्य को कायम रखने में योगदान करने के लिए प्रेरित किया है।’

https://twitter.com/rajnathsingh/status/1539241289312571392

मार्च में, वैश्विक स्तर पर मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के अभियान के एक हिस्से के रूप में, सद्गुरु ने अकेले मोटरसाइकिल यात्रा शुरू की थी। अभियान दुनिया भर में देशों को प्रेरित कर रहा है कि वे धरती की कृषि-भूमि को बचाने के लिए तत्काल नीति बनाएं। 50 प्रतिशत मिट्टी पहले ही खराब बताई गई है और उपज देने में नाकाबिल है। अभियान का लक्ष्य दुनिया भर में कृषि-भूमि में न्यूनतम 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व लाने हेतु, नीति बनाने के लिए देशों पर जोर डालना है। मिट्टी को उपजाऊ रखने, उपज देने, और उसे रेत में बदलने से रोकने के लिए, उसमें न्यूनतम इतना जैविक तत्व होना चाहिए।

मिट्टी के लिए सद्गुरु की यात्रा 21 मार्च को लंदन से शुरू हुई थी, और वह यूरोप, मध्य-एशिया और मध्य-पूर्व के 27 देशों गुजरी है। सद्गुरु ने मई में आइवरी कोस्ट में यूएनसीसीडी (UNCCD) के कान्फरेंस ऑफ पार्टीज़ के 15वें सत्र COP15 को संबोधित किया है, जिसमें 197 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उसी महीने, सद्गुरु दावोस में विश्व आर्थिक मंच WEF में भी बोले। दोनों कार्यक्रमों में, सद्गुरु ने राजनीतिक, व्यापारिक, और सांस्कृतिक नेताओं पर, धरती पर तेजी से हो रहे मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए, तत्काल निर्णायक नीति-संचालित कदम उठाने पर जोर दिया। UNCCD ने अनुमान लगाया है कि मिट्टी के खराब होने की मौजूदा दर से, धरती का 90 प्रतिशत 2050 तक रेगिस्तान में बदल सकता है – अब से तीन दशक से कम में।

आज तक, 74 देशों ने मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के लिए प्रण किया है, और 8 भारतीय राज्यों ने ईशा आउटरीच के साथ अपने राज्यों में मिट्टी को बचाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक शामिल हैं। दिल्ली में, 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर सद्गुरु प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मिले, और केंद्रीय सरकार का समर्थन मांगा। प्रधानमंत्री ने  सेव-सॉयल के प्रयासों की सराहना की और अभियान के लिए सरकार के उदार समर्थन का आश्वासन दिया।

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