SP में अंदरूनी कलह दूर कराने आगे आया हाईकमान, जानें- किसने मिलाया सुरेंद्र व नरेंद्र का दिल

नोएडा । जिले में समाजवादी पार्टी के अंदर चल रही कलह को समाप्त कराने के लिए पार्टी हाईकमान आगे आया है। पिछले सप्ताह (बृहस्पतिवार) पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव दिवंगत सपा नेता विक्रम भाटी की पुण्यतिथि पर ग्रेटर नोएडा आए थे।

इस दौरान उन्होंने जिले के दोनों कद्दावर नेता राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर व विधान परिषद सदस्य नरेंद्र भाटी से दूरियां कम करने को कहा। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव सिर पर है, आपसी मतभेद दूर नहीं किए गए तो इसका असर चुनाव पर पड़ेगा। वहीं दोनों के मतभेद के कारण जिले में पार्टी कमजोर पड़ रही है।

कार्यकर्ता दो गुटों में बंटे हुए हैं। गुटबाजी के चलते कई कार्यकर्ता दूसरे दलों में भागने की फिराक में हैं। यह बात हाईकमान तक पहुंच चुकी है। दरअसल, विधान परिषद सदस्य नरेंद्र भाटी सपा के गठन के समय से ही पार्टी में रहे हैं।

तीन बार वे सिकंद्राबाद विधानसभा से विधायक भी रहे, लेकिन सुरेंद्र नागर के सपा में आने के बाद नरेंद्र भाटी की पार्टी में स्थिति कमजोर पड़ गई। सुरेंद्र नागर पहले बसपा में थे। 2009 में उन्होंनें भाजपा के डा. महेश शर्मा को हराकर गौतमबुद्ध नगर का पहला सांसद बनने का गौरव हासिल किया था।

2014 में सपा में आने के बाद नरेंद्र भाटी और उनके बीच पार्टी में वर्चस्व को लेकर तलवार खिंच गई। नरेंद्र भाटी के नजदीकियों को उन्होंने पार्टी जिला इकाई से हटवाकर अपने करीबियों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठवाया। वहीं अपनी स्थिति कमजोर पड़ता देख नरेंद्र भाटी ने भी बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए।

उन्होंने हाईकामन तक अपनी नाराजगी पहुंचाई। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी ने उन्हें विधान परिषद में भेजा। दोनों के बीच जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के बाद से तलवार खिंची थी। सुरेंद्र नागर पर बसपा की जयवती को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटवाने में अहम भूमिका निभाने के आरोप लगाए गए थे।

जयवती नागर बसपा नेता गजराज नागर की पत्नी है। बताया जाता है कि सुरेंद्र नागर ने अविश्वास प्रस्ताव के मतदान से पहले बसपा के जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र भूड़ा को भी अंतिम समय पर अपने खेमे में मिला लिया था। हालांकि, सुरेंद्र नागर ने तब इन आरोपों को नकार दिया था।

वहीं नरेंद्र भाटी पर भी आरोप लगे थे कि बसपा नेता गजराज नागर के साथ उनकी नजदीकियां थी, इसलिए वे जयवती को हटाने के खिलाफ थे। बाद में जयवती की जगह सपा नेता रविंद्र भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष बने। उनके अध्यक्ष बनने में भी सुरेंद्र नागर की अहम भूमिका रही। कुछ समय बाद ही रविंद्र भाटी सुरेंद्र नागर खेमे को छोड़कर नरेंद्र भाटी खेमे में शामिल हो गए।

वहीं नरेंद्र भाटी की स्थिति पार्टी में लगातार कमजोर पड़ रही थी। इसके लिए वे सार्वजनिक रूप से सुरेंद्र नागर को दोषी ठहराते थे। सूत्रों के मुताबिक गत सप्ताह पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें दिल्ली स्थित अपने आवास पर बुलाया। इसके बाद नरेंद्र भाटी दिल्ली में रामगोपाल यादव से भी मिले। बृहस्पतिवार को रामगोपाल ग्रेटर नोएडा पहुंचे तो उन्होंने दोनों कद्दावर नेताओं की तल्खी को कम कराया। उन्होंने विक्रम भाटी के छोटे भाई सुधीर भाटी को भी दोनों नेताओं से आशीर्वाद देने को कहा।

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