रक्तचाप की वैल्यू में बदलाव के पक्षधर हैं चिकित्सक

नई दिल्ली । आज के आपाधापी वाले माहौल में उच्च रक्तचाप का होना आम बात है। लेकिन रक्तचाप को माप को लेकर चिकित्सकों ने इसके वैल्यू को रिवीजन करने के पक्ष में राय दी है। भारतीय डॉक्टर ऐसा अमेरिकी और यूरोपियन गाइडलन्स के चलते ऐसा करने के पक्ष में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 130/80 या 140/90 से कम पर ब्लड प्रेशर के वैल्यू का रिवीजन होना चाहिए। हैदराबाद स्थित अपोलो हॉस्पिटल के वरिष्ठ कंसल्टेंट सी. वेंकट एस. राम का मानना है

कि रक्तचाप का लेवल 130/80 से ज्यादा होने पर इसे बढ़ती बीमारी और उच्च रक्तचाप की उलझनों का ‘वार्निंग सिग्नल’ मानना चाहिए। जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फीजिसियन्स ऑफ इंडिया में साल-2013 में प्रकाशित भारतीय हाइपरटेंशन गाइडलाइन्स के मुताबिक, 130-139/80-89 ‘हाई नॉर्मल’, 120-129/ 80 से नीचे ‘नॉर्मल’, और 80 से नीचे ‘ऑप्टिमल’ माना जाता है। ऐसी गाइडसलाइंस के जरिए कई डॉक्टर 140/90 से कुछ कम उदाहरण के लिए 137/88 पर विचार करना बंद कर दिया था। डॉ. राम ने कहा, इसे बदलने की जरूरत है। यह 130/80 या नीचे होना चाहिए। उन्होंने हाल ही में प्रकाशित इंडियन हर्ट जर्नल में कहा कि 130-80 भारतीयों के लिए ‘गैर-विचारणीय चिकित्सीय लक्ष्य’ होना चाहिए।

उच्च रक्तचाप एक ऐसा रोग है जो कई रोगों और मौत का कारण बनता है। नई खोज और सबूतों की मौजूदगी में रक्तचाप को लेकर हमारी समझ को बदलते रहना चाहिए। अगर उच्च रक्तचाप का इलाज न हो तो यह दिल के बड़े रोग का कारक बन सकता है। इससे झटके और जान को खतरा होने वाला किडनी डैमेज हो सकता है। विभिन्न अध्ययनों में सुझाव दिया गया है कि उच्च रक्तचाप वाले लगभग आधे भारतीय मरीजों का समय पर जांच करानी चाहिए। यहां तक कि जब एक रोगी के ब्लड प्रेशर की जांच की जाती है, तब भी यह देखा गया है कि उन्हें विभिन्न कारणों से पर्याप्त उपचार नहीं मिलता।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी और अमेरिकन हर्ट एसोसिएशन ने नंवबर 2017 में 130/80 को चिकित्सा के लिए आधार बनाया है, वहीं यूरोपियन सोसयटी ऑफ कार्डियोलॉजी और यूरोपियन सोसायटी ऑफ हायपरटेंशन ने साल-2018 में उपरोक्त को अपना लिया है। इन दिशानिर्देशों को भारत के संदर्भ में अधिक गूंज मिलती है, जहां पर्याप्त इलाज ना मिलने के चलते रक्तचाप का सही इलाज नहीं हो पाता।

हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार, 130/80 वैल्यू के लिए ब्लड प्रेशर वैल्यू में एक संशोधन उन मरीजों के व्यवहार्यता को बढ़ा देगा जिन्हें उनके ब्लड प्रेशन को मापने और नियंत्रित करने की जरूरत होती है। ब्लड प्रेशर रीडिंग लेने के दौरान एक महत्वपूर्ण कदम है जिसे विश्वसनीयता और पुष्टि के लिए दोहराया जाता है, न कि ब्लड प्रेशर के सभी मामलों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होगी।

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