Ontime exclusive-बढ़ता यौन रिश्तों का चलन एड्स को देता आमंत्रण

अध्ययन में पाया गया हैं कि लड़कियों की तुलना में लड़के सेक्स व यौन सम्बन्ध स्थापित करने में अधिक रूचि लेते हैं, जबकि लड़कियां भावनात्मक लगाव पसंद करती हैं। लेकिन लड़कियां जब लड़के से भावनात्मक रूप से जुड़ जाती हैं, तो वे भी यौन सम्बन्ध की इच्छा प्रकट करने लगती हैं। आम धारणा हैं कि लड़कियां खुद को सेक्स से दूर रखना चाहती हैं, लेकिन इसका कारण परिवार और समाज का डर होता हैं। इसलिए इससे यह साबित नहीं होता कि लड़कियों में यौन इच्छा कम होती हैं। कुछ लड़कियों का मानना हैं कि यौन सम्बन्ध के बगैर भी किसी लड़कें से दोस्ती निभायी जा सकती हैं लेकिन कुछ समय बाद भी जब लड़की यौन सम्बन्ध के लिए राजी नहीं होती हैं, तो उसे असामान्य मान लिया जाता हैं और उनकी दोस्ती टूट जाती हैं।

इसलिए मजबूरीवश भी लड़कियों को इसके लिए तैयार होना पड़़ता हैं। जबकि कुछ लड़कों का कहना हैं कि लड़कियां लज्जालु स्वभाव की होती हैं, इसलिए वे सेक्स के मामले में आगे नहीं आती हैं लेकिन बाद में सेक्स के लिए तैयार हो जाती हैं।
लड़के दोहरे मानदण्ड अपनाते है–
किशोर लड़के-लड़कियों के बीच यौन सम्बन्ध महानगरों में आम बात तो हैं ही, छोटे शहर व कस्बे भी अब इससे अछूते नहीं हैं कुछ लड़कों का कहना हैं कि कौमार्यता उनके लिए कोई महत्व नहीं रखती। शादी से पहले यौन सम्बन्ध बनाना कोई बुरी बात नहीं हैं। जबकि कुछ लड़कियों का कहना हैं कि इस मामले में लड़के दोहरे मानदण्ड अपनाते हैं। एक तरफ तो वे शादी से पूर्व शारीरिक सम्बन्धों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन शादी के मामले में वे वैसी लड़की से ही शादी करना चाहते हैं, जिसने शादी से पूर्व यौन सम्बन्ध स्थापित न किया हो।

शारीरिक आकर्षण से होती है शुरूआत —
किशोरावस्था के लड़के-लड़कियों में यौन सम्बन्धों की शुरूआत शारीरिक आकर्षण से होती हैं। जब लड़के-लड़की एक-दूसरे से सम्मोहित हो जाते हैं तो वे परस्पर एक दूसरे को प्यार से छूते और चूमते हैं और बहुत जल्द ही उनमें यौन सम्बन्ध कायम हो जाते हैं। लेकिन प्यार और दोस्ती उसी अवस्था में अधिक दिनों तक कायम रह पाती हैं, जब शारीरिक सम्बन्धों को महत्व न दिया जाए। जब प्यार पर सेक्स हावी हो जाता हैं तो जल्दी ही उनका मन सेक्स से भर जाता हैं और सम्बन्ध टूट जाते हैं, क्योंकि यहां भावनात्मक लगाव कम या नहीं के बराबर होता हैं।

भुगतना पड़ता सबसे अधिक खामियाजा—-
सेक्स एवं यौन सम्बन्धों के बारे में जानकारी के मुख्य स्रोत टेलीविजऩ, पत्र-पत्रिकायें और सिनेमा हैं। लेकिन सेक्स शिक्षा के अभाव तथा सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे भटक जाते हैं। इसका सबसे अधिक खामियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ता हैं। लड़कियां यौन सम्बन्ध तो स्थापित तो कर लेती हैं, लेकिन गर्भ निरोध की जानकारी के अभाव में वे गर्भवती हो जाती हैं। हालांकि अधिकतर माता-पिता का यह कहना हैं कि भारत में गैर शादीशुदा किशोर लड़कियों में गर्भवती होने के बहुत कम मामले होते हैं। शिक्षकों का भी यही माननता हैं। इसका कारण यह हैं कि माता-पिता और शिक्षक इस मामले में अनभिज्ञ होते हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके बच्चे शारीरिक सम्बन्ध बनाए हुए हैं। बच्चे भी डर से ऐसी बातें माता-पिता या शिक्षक को नहीं बताते। लड़के-लड़कियां खुद ही गर्भपात कराने डॉक्टर के पास चले जाते हैं। ऐसे मौके पर उनके दोस्त उनका साथ देते हैं। हालांकि कुछ मामलों में लड़कियां गर्भपात नहीं कराना चाहती, लेकिन चूंकि उनके पास दूसरा कोई उपाय नहीं होता, इसलिए अंतत: उन्हें गर्भपात करना ही पड़ता हैं।

असुरक्षित यौन सम्बन्ध एड्स का बड़ा कारण—-
इंटरनेशनल प्लान्ड पैरेन्टहुड फेडीरेशन के अनुसार विश्व में प्रत्येक साल कम से कम बीस लाख युवतियां गैर कानूनी गर्भपात कराती हैं।ं चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं की तुलना मे ंकिशोर वय की लड़कियों में गर्भपात अधिक घातक साबित होता हैं। अवैध और असुरक्षित यौन सम्बन्ध एड्स का बहुत बड़ा कारण हैं। हालांकि एड्स के भय से अब एक ही साथी से यौन सम्बन्ध बनाने में लड़के-लड़कियाँ अधिक रूचि रखने लगे हैं, फिर भी शारीरिक सम्बन्ध बनाने के समय वे कोई सावधानी नहीं बरतते। हालांकि कुछ स्कूलों में बच्चों को एड्स के बारे में शिक्षा दी जाने लगी हैं और कुछ माता-पिता भी अपने बच्चों को एड्स तथा सुरक्षित सेक्स की जानकारी देने लगे हैं। लेकिन फिर भी एच.आई.वी. के नियंत्रण के लिए चलाये जा रहे एकीकृत राष्ट्रीय कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की रिपोर्ट के अनुसार एच.आई.वी. के नये मामले में 60 प्रतिशत मामले 15 से 24 वर्ष के बीच के युवाओं में पाया गया हैं। इनमें लड़कों की तुलना में दोगुनी लड़कियों में एड्स के मामले पाये गये।

बच्चों को दी जानी चाहिए उचित सेक्स शिक्षा—-
अधिकतर मामलों में माता-पिता को पता नहीं होता कि उनके बच्चे शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर रहे हैं। फिर भी यदि माता-पिता और शिक्षक चाहें तो सेक्स अपराध को कुछ हद तक नियन्त्रित कर सकते हैं। इसके लिए बच्चों को समय पर उचित सेक्स शिक्षा दी जानी चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में उनकी मदद करनी चाहिए। इसके अलावा उनकी ऊर्जा को खेल या इसी तरह के दूसरे शौकों में लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। आज एड्स जैसी बीमारियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा हैं इसके लिए किशोरों को सेक्स से दूर रहने की शिक्षा देने या सेक्स के बारे में आधी-अधूरी जानकारी देने के बजाय उन्हें सही अर्थों में सेक्स के बारे में ज्ञानवान बनाया जाना चाहिए।

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