“कश्मीर एक अनकही कविता है; यह हमारी आत्मा में बसा है” : अनुपम खेर

ज़ी सिनेमा पर ‘द कश्मीर फाइल्स’ के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर से पहले अनुपम खेर ने कहा

News Desk : एक कहानी और अनगिनत भावनाएं … इसी खूबी ने द कश्मीर फाइल्स को इस साल की सबसे ज्यादा चर्चित फिल्मों में से एक बना दिया है। विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी यह फिल्म लोगों के दिलों से जुड़ गई है। इस फिल्म ने उन लोगों की कहानियां बयां की, जिन्हें रातों-रात अपना घर छोड़ना पड़ा और देश में एक नए ठिकाने की तलाश करनी पड़ी। द कश्मीर फाइल्स उनकी भावनाओं को बखूबी पर्दे पर उतारती है। ज़ी सिनेमा पर 25 जून को रात 8 बजे देखिए द कश्मीर फाइल्स का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर। इस मास्टरपीस पर चर्चा करते हुए अनुपम खेर ने द कश्मीर फाइल्स के अलावा अपने बचपन की बहुत-सी बातें भी उजागर कीं।

 

 

 

  • क्या कश्मीर में शूटिंग करके आपकी बचपन की यादें ताजा हुईं?

कश्मीर एक अनकही कविता है, यह हमारी आत्मा में बसा है। इस फिल्म के लिए अपने घर वापसी करना एक जिंदगी बदल देने वाला अनुभव था। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि मेरी खुद की यादें अब तक मेरे ज़ेहन में इतनी ताजा हैं। हंडवाड़ा और सोपोर के खूबसूरत हरे-भरे मैदान, खीर भवानी की वो पारिवारिक यात्राएं, निषाद गार्डन और संभवतः इस दुनिया की सबसे प्यारी जगह – डल झील! मुझे अब भी याद है कि किस तरह मेरे घर के छोटे-से झरोखे से हमारे यहां बारामुला की चेरियां पहुंचाई जाती थीं। मैंने इस पृथ्वी के हर आकर्षक हिस्से को देखा होगा और मैं कहना चाहूंगा कि यदि इस धरती पर कहीं सच्ची खूबसूरती है, तो हमीनस्तु, हमीनस्तु! 

 

 

 

  • इस कहानी के लिए विवेक के विशन पर यकीन करने के लिए आपको किस बात ने प्रेरित किया?

कश्मीर के इतिहास पर फिल्म बनाना कोई आसान काम नहीं है। द कश्मीर फाइल्स को लेकर विवेक का रवैया काफी आज़ाद था। जब मैंने इस फिल्म की स्क्रिप्ट सुनी, तो मुझे यकीन था कि मैं इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहता हूं। बेशक यह विषय मेरे दिल के करीब है, लेकिन साथ ही यह एक ऐसा बिंदु था, जहां मेरा दिल और मेरी कला एक दूसरे से मिल गए। सेट पर ऐसे पल भी आए, जब विवेक और मैं शॉट के बाद मॉनिटर की ओर देखकर खुशी से उछल पड़ते थे। मुझे लगता है कि विवेक की इसी लगन को देखकर मैं तुरंत इस फिल्म में आ गया।

 

 

 

– आपको क्या लगता है कि किस वजह से कश्मीर फाइल्स ने बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़े?

फिल्में हमारी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा हैं। वो हमारा नजरिया बदलती हैं और हमें जिंदगी का रास्ता दिखाती हैं। कश्मीर फाइल्स के जरिए हम भावनाओं के तूफान को एक स्क्रिप्ट में पिरोना और इसे लोगों से जोड़ना चाहते थे। पिछले 2 वर्षों में हम बहुत खराब हालात से गुजरे हैं लेकिन वही दर्द और दुख हमें एक दूसरे के करीब ले आया। द कश्मीर फाइल्स उस कभी ना भुलाए जाने वाले दौर का एक झरोखा है, जो कश्मीरी पंडितों ने अपनी जिंदगी में देखा है। और एक तरह से मुझे लगता है कि लोग उसी दर्द से जुड़ गए। इसके बाद दुनिया भर में भावनाओं का एक सिलसिला चल पड़ा, जो इस फिल्म को सफलता की ओर ले गया।

 

 

 

– अपने को-स्टार के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

सबसे पहले तो मैं द कश्मीर फाइल्स बनाने के लिए विवेक और पल्लवी का आभारी हूं। इस सफर को शब्दों में बयां करना मुमकिन नहीं है। लंबे समय बाद पल्लवी और मिथुन दा के साथ काम करके बड़ी खुशी हुई। दर्शन कुमार और भाषा सुंबली के साथ काम करना भी एक बड़ा ताजगी भरा अनुभव था। हम सभी के लिए इस फिल्म की शूटिंग करना एक बड़ी इंटेंस प्रक्रिया थी, जहां हमने फिर से उस दर्द को महसूस किया। इसमें अक्सर स्क्रीन की भावनाओं को अपने वास्तविक एहसास से अलग करना मुश्किल हो जाता था। हालांकि अपने को-एक्टर्स को अपने रोल में डूबकर पूरी दुनिया से अलग-थलग देखकर यह पूरी प्रक्रिया आसान हो गई।

 

 

 

 

  • आपने 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। आपको इस प्रोजेक्ट की खासियत क्या लगती है? 

मैं लगातार आगे बढ़ते रहना, प्रयोग करना और खुद की खोज जारी रखना चाहता हूं। अपनी कला को आज़माने के लिए अपनी सीमाएं पार करने की बहुत-सी चुनौतियां होती हैं, जो हर घड़ी मुझे सजग रखती है। हालांकि मुझे लगता है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ हर फिल्म से अलग है और यह मेरे करियर को एक अलग मायने देने वाली फिल्म है। यह फिल्म कोई सधी हुई स्क्रिप्ट या उम्दा संवादों से सजी फिल्म नहीं है बल्कि यह एक सच है, मेरा सच। तो ज़ाहिर है यह फिल्म सफल हुई और इसने दुनिया पर अपना असर किया।

Comments are closed.