न्यूज़ डेस्क : स्टॉक मार्केट में चीन की टेक कंपनियों की लिस्टिंग में भारी गिरावट आई है। दूसरी तिमाही में ये गिरावट 60 फीसदी रही। अप्रैल की शुरुआत से दुनिया भर के शेयर बाजारों में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के जरिये चीनी टेक कंपनियां सिर्फ छह अरब डॉलर जुटा पाई हैं। यह पहली तिमाही से 60 फीसदी कम है।
ब्रिटिश अखबार द फाइनेंशियल टाइम्स के एक विश्लेषण के मुताबिक, ये गिरावट चीन में टेक कंपनियों पर शुरू हुई सरकारी कार्रवाई के कारण आई है। चीन में विनियामक एजेंसियों ने इन कंपनियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई का दायरा अब और बढ़ा दिया है। डेटा कंपनी डीललॉजिक के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में तमाम चीनी कंपनियों के बीच आईटी कंपनियों के आईपीओ जारी करने की संख्या में लगातार गिरावट आई है। अब आईपीओ से जुटाई कुल रकम में उनका हिस्सा सिर्फ 21 फीसदी रह गया है, जो दो साल का सबसे निचला स्तर है।
चीन सरकार ने कंपनियों पर कसा शिंकजा
बता दें कि पिछले एक साल के दौरान चीन सरकार की एजेंसियों ने टेक कंपनियों पर निगरानी बढ़ा दी। पिछले नवंबर में अरबपति जैक मा की कंपनी एंट ग्रुप के 37 अरब डॉलर के आईपीओ को चीन सरकार ने रोक दिया था। चीन सरकार ने टेक कंपनियों से अपने कारोबार का नया ढांचा तैयार करने को कहा है। चीन सरकार ने ये कार्रवाई एकाधिकार (मोनोपॉली) खत्म करने के मकसद से शुरू की है। उसने जैक मा की ही दूसरी कंपनी अलीबाबा पर मोनोपॉली कायम करने के आरोप में कुछ महीने पहले 2.8 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया था।
सोसायते जेनराल नाम की कंपनी के एशिया संबंधी विशेषज्ञ फ्रैंक बेनजीमरा ने द फाइनेंशियल टाइम्स से कहा, “चीन में विनियमन का मुद्दा बहुत बुनियादी प्रकार का है। इसके तहत कंपनियों से पूछा जा रहा है कि अपना जो बाजार मूल्य वे बताती हैं, उसका आधार क्या है? खास कर ऐसा टेक्नोलॉजी कंपनियों के मामले में हो रहा है। ऐसी कार्रवाई का उन कंपनियों के लिए बहुत महत्त्व होता है, जो आईपीओ लाने के लिए सोच रही होती हैं।”
जानकारों का कहना है कि इस साल की पहली तिमाही में चीनी कंपनियों ने शंघाई, शेनझेन, हांगकांग और न्यूयॉर्क के स्टॉक एक्सचेंज में अपने शेयर बेच कर 15.3 अरब डॉलर जुटाए थे। लेकिन दूसरी तिमाई में इसमें भारी गिरावट आ गई। बीते तीन महीने में चीनी कंपनियों की मार्केट लिस्टिंग में सबसे ज्यादा गिरावट हांगकांग में आई है। हांगकांग की ब्रोकरेज कंपनी वेल्थ सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक लुई त्से के मुताबिक, इस गिरावट का एक कारण शेयर बाजार में निवेश का ताजा वैश्विक ट्रेंड भी है, लेकिन इसकी वजह यह भी है कि चीनी कंपनियों ने हांगकांग में कम संख्या में अपनी सेकंडरी लिस्टिंग की।
अमेरिका में कार्रवाई भी एक कारण
बीते एक वर्ष में अमेरिकी शेयर बाजारों में लिस्टेड चीनी कंपनियों जेडी.कॉम, नेटईज और बाइदू ने हांगकांग में अरबों डॉलर जुटाए थे, लेकिन अमेरिका में इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का असर भी इसके शेयरों के कारोबार पर पड़ा है। बहुत से निवेशक अब इस आशंका के कारण इनमें पैसा लगाने से बच रहे हैं कि अमेरिका में इन कंपनियों डी-लिस्ट (कारोबार से हटाना) किया जा सकता है।
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