अब जीएसटी के कड़े प्रावधानों की तैयारी, ई-वे बिल लागू करने को GST काउंसिल की बैठक कल

नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले जीएसटी में आम लोगों व कारोबारियों को कई राहतें देने के बाद सरकार अब वस्तु एवं सेवा कर कानून के कड़े प्रावधानों को लागू करने की तैयारी कर रही है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए केंद्र ने शनिवार को जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक बुलाई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होने वाली बैठक में इस पर विचार किया जाएगा कि जीएसटी के ई-वे बिल संबंधी प्रावधान को कब से लागू किया जाए।

सूत्रों के मुताबिक काउंसिल की बैठक में इलेक्ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) का क्रियान्वयन तय तिथि से पहले ही करने का निर्णय किया जा सकता है। काउंसिल ने अक्टूबर में हुई बैठक में विवादास्पद ई-वे बिल प्रावधान को एक अप्रैल, 2018 से लागू करने का फैसला लिया था। ई-वे बिल के नियमों के तहत माल की ढुलाई करने वाले व्यक्ति को जीएसटीएन पोर्टल से यह बिल हर हाल में लेना होगा।

हाल के महीनों में जीएसटी संग्रह अपेक्षा से कम रहने की वजह से राज्यों ने इसे समय से पहले ही लागू करने की मांग की है। राज्यों का कहना है कि ई-वे बिल के नियम को एक जनवरी, 2018 से ही लागू किया जाए ताकि जीएसटी संग्रह में किसी भी तरह की लीक की गुंजाइश को खत्म किया जा सके। इस बिल पर उद्योग जगत को कई तरह की आपत्तियां हैं। उसका कहना है कि इससे जीएसटी का अनुपालन और कठिन होगा। काउंसिल की गुवाहाटी में हुई बैठक में 200 से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी की दर घटाकर और मासिक रिटर्न फाइलिंग से छूट देकर आम लोगों और कारोबारियों को बड़ी राहत दी गई थी। हालांकि इसका खजाने पर प्रतिकूल असर पड़ा। अक्टूबर में जीएसटी संग्रह घटकर 83,000 करोड़ रुपये हो गया। अब अनुमान है कि नवंबर में भी इसमें कमी आएगी।

सूत्रों ने कहा कि ऐसी सूचना मिल रही है कि तमाम डीलर जीएसटी की चोरी कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए ई-वे बिल जैसे सख्त प्रावधान की जरूरत है। कर्नाटक सहित पांच राज्य ई-वे बिल की व्यवस्था को लागू करने के लिए तैयार हैं। इन राज्यों के लिए बिल का आइटी सिस्टम एनआइसी ने तैयार किया है। वैसे भी चालू वित्त वर्ष में राजस्व के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार के पास अब मात्र तीन ही महीने बचे हैं। ऐसे में जीएसटी संग्रह में किसी भी तरह का रिसाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जीएसटी काउंसिल ई-वे बिल के अलावा रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म व इनवॉयस मैचिंग जैसे प्रावधानों के क्रियान्वयन को भी टाल चुकी है। काउंसिल ने जीएसटी कानून की समीक्षा करने के लिए जिस समिति की मदद के लिए परामर्श समूह का गठन किया था, उसने भी अपने सिफारिशों में ई-वे बिल पर अमल 2019 तक टालने की सिफारिश की है।

Comments are closed.