सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों का मामला कोर्ट के पाले में डाला

नई दिल्ली: सोमवार को केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि वह रोहिंग्या मुस्लमान देश में गैरकानूनी है और उनका लगातार यहां रहना राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैl उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में इस मामले में एक याचिका दायर किया है l जिसमें कहा गया है कि सिर्फ देश के नागरिकों को ही देश के किसी भी जगह में रहने का मौलिक अधिकार है, और गैरकानूनी शरणार्थी अधिकार के लिए उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं कर सकते l

इस मामले में सुरक्षा खतरों और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दी गई जानकारी का विवरण सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में दे दिया गया है l वही देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमने अपनी पूरी जानकारी  कोर्ट को दे दी है और अब कोर्ट को यह फैसला करना है l खंडपीठ के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ 3 सदस्य खंडपीठ को केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया है कि इस मामले में 18 सितंबर को अपना फैसला देगी l सुप्रीम कोर्ट में गृह मंत्रालय द्वारा दायर याचिका  में कहा गया संविधान के अनुच्छेद 19 में प्रदत संवैधानिक अधिकार से स्पष्ट है कि भारत की सीमा के किसी भी हिस्से में रहने और बसने तथा देश में स्वतंत्र रूप से कहीं भी आने जाने का अधिकार सिर्फ भारत के नागरिकों को ही l

प्रार्थी न्यायालय से ऐसा आदेश देने के लिए अनुरोध नहीं कर सकता है जो प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रुप से मौलिक अधिकार प्रदान करता है न्यायालय में केंद्र ने कहा है कि चुकी भारत ने 1951 के शरणार्थियों के दर्शन से संबंधित संधि हुई और 1967 के शरणार्थियों के दर्द से संबंधित प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किया है l  इसलिए संविधान कहता इस मामले में सरनार्थी कोर्ट का सहारा नहीं ले सकता l  केंद्र के अनुसार इन्हें वापस भेजने पर प्रतिबंध संबंधित कोर्ट की जिम्मेदारी 1951 की संधि के तहत होता आती है l  

यह जिम्मेदारी सिर्फ उन्हीं देशों के लिए बाध्यकारी है जो इस संधि के प्रकार हैं याचिका में दवा किया गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र संघ के उच्चायोग के तहत पंजीकृत शरणार्थी है और उनके समुदाय के प्रति बड़े पैमाने पर भेदभाव हिंसा और खून खराबा की वजह से म्यानमार से भागने के बाद उन्होंने भारत में शरण लिए l  याचिका में कहा गया है कि म्यानमार की सेना बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमानों पर कथित रुप से अत्याचार कीये  जाने की वजह से इस समुदाय के लोगों ने भारत और बांग्लादेश में शरण ली है l अब देखना है की सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेता है ?

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