“स्वर्ण मंदिर में बंदूक तैनाती की अनुमति नहीं दी गई: सिख धर्मगुरु और एसजीपीसी का स्पष्टीकरण”

हाल ही में भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दिए गए बयान में यह दावा किया गया कि पाकिस्तान से संभावित हवाई हमलों के मद्देनज़र अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर पर एयर डिफेंस गन तैनात की गई थीं। इस दावे को सिख धार्मिक नेताओं और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने सिरे से खारिज कर दिया है। उनका स्पष्ट कहना है कि न तो सेना को किसी प्रकार की अनुमति दी गई, न ही मंदिर परिसर में कोई हथियार तैनात किया गया।


सेना का दावा और धार्मिक पक्ष का जवाब

भारतीय सेना के एयर डिफेंस महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस गन लगाई गई थीं और मंदिर की रोशनी बंद कर दी गई थी ताकि दुश्मन के ड्रोन को देखा जा सके।

इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए श्री हरमंदिर साहिब के अतिरिक्त प्रमुख ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने कहा कि मंदिर प्रशासन ने केवल केंद्र सरकार के आदेश पर बाहरी और ऊपरी रोशनियां बंद की थीं, लेकिन किसी भी प्रकार की हथियार तैनाती की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि धार्मिक गतिविधियाँ सामान्य रूप से जारी रहीं और मंदिर की गरिमा बनी रही।

एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने भी कहा कि सेना ने केवल ब्लैकआउट को लेकर संपर्क किया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की गन तैनाती या अन्य सैन्य कार्रवाई के लिए न तो अनुमति मांगी गई और न ही दी गई।


समुदाय की चिंता और स्थिति की वास्तविकता

स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह, जो उस समय विदेश में थे, ने कहा कि उन्हें भी इस तरह की किसी तैनाती की जानकारी नहीं दी गई थी और न ही ऐसा कुछ हुआ था। उन्होंने सेना अधिकारी के बयान को “चौंकाने वाला और असत्य” करार दिया।

धार्मिक नेताओं और एसजीपीसी ने सरकार से मांग की है कि वह इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करे। उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों की गरिमा को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और किसी भी प्रकार के सुरक्षा उपाय धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का सम्मान करते हुए ही किए जाने चाहिए।

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