न्यूज़ डेस्क : भारत में जर्मनी के नए राजदूत वाल्टर जे लिंडनर का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट मिलनी चाहिए क्योंकि उसकी कमी संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाती है।
लिंडनर ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को मंगलवार को हिंदी में अपना परिचय पत्र पेश किया। इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए लिंडनर ने कहा कि जी4 समूह (भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए दावा करता है।
उन्होंने कहा, ”भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मिलनी चाहिए… 1.4 अरब लोगों वाले देश भारत को अभी तक इसका स्थायी सदस्य नहीं है, यह अभी तक नहीं हुआ है। यह ऐसा ही नहीं रह सकता क्योंकि इससे संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाती है।”
चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है। जर्मनी के राजदूत ने साथ ही कहा कि उनके देश ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र आतंकवादियों की वैश्विक सूची में शामिल कराने में काफी मदद भी की थी। मोदी सरकार के दोबारा आने पर उसके साथ काम करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह काल्पनिक प्रश्नों का उत्तर नहीं देंगे और चुनाव के नतीजों का इंतजार करेंगे।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के दूत ने भी कहा था कि भारत और जर्मनी, ब्राजील तथा जापान जैसे देशों को समसामयिक वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए बृहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों के तौर पर शामिल करने की “नितांत आवश्यकता” है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण संस्था में इन प्रमुख सदस्यों को शामिल करना फ्रांस की “रणनीतिक” प्राथमिकताओं में शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि फ्रांसवा डेलातरे ने पिछले हफ्ते यहां संवाददाताओं से कहा, “नीति के लिहाज से फ्रांस एवं जर्मनी की नीति मजबूत है जो सुरक्षा परिषद को विस्तार देने के लिए साथ काम करने और उस बातचीत में सफल होने से जुड़ी है। जिससे सुरक्षा परिषद का दायरा बढ़े, जिसे हम विश्व को जैसा है वैसा ही बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए निहायत ही जरूरी मानते हैं। इसको लेकर कोई सवाल नहीं उठता है।”
अप्रैल के लिए संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी की अध्यक्षता के अंत में संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के दूत क्रिस्टोफ ह्यूसजन के साथ बोलते हुए डेलातरे ने जोर दिया कि फ्रांस मानता है कि, “जर्मनी, जापान, भारत, ब्राजील और विशेष रूप से अफ्रीका का उचित प्रतिनिधित्व सुरक्षा परिषद में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की दिशा में अत्यंत आवश्यक है। यह हमारे लिए प्राथमिकता का विषय है।” उन्होंने रेखांकित किया कि फ्रांस का मानना है कि कुछ प्रमुख सदस्यों को जोड़ने के साथ सुरक्षा परिषद को बृहत बनाना “हमारी रणनीतिक प्राथमिकताओं में से एक है।”
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