पारंपरिक चिकित्सा और आयुष में अधिक सहयोग की आकांक्षा जताई

मैक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो एब्रार्ड कैसाबोन ने नई दिल्ली में आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल से भेंट की
दोनों देशों के संयुक्त प्रयासों से अपने लोगों की सहायता हो सकती है और स्वास्थ्य का एक नया युग लाया जा सकता है: सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय आयुष और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज नई दिल्ली में मैक्सिको के विदेश मंत्री श्री मार्सेलो एब्रार्ड कैसाबोन से भेंट की। इस बैठक के दौरान, मैक्सिको के विदेश मंत्री ने एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए पारंपरिक चिकित्सा और आयुष प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

 

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इस अवसर पर, केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने सदियों पहले से चली आ रही भारत और मैक्सिको के बीच की लंबी मित्रता और मधुर संबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों में भू-जलवायु परिस्थितियों, जैव विविधता, शरीर विज्ञान और लोगों, संस्कृति एवं पारिवारिक मूल्यों के मामले में उल्लेखनीय समानताएं हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आयुष का अर्थ है जीवन है और आयुर्वेद, योग, यूनानी, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी इसका प्रमुख आधार है। भारत में आयुष पद्धतियों का एक मजबूत बुनियादी ढांचा है और हमने आयुर्वेद और अन्य भारतीय पारंपरिक प्रणालियों को 50 से अधिक वर्षों से व्यवस्थित किया है, जो पारंपरिक चिकित्सा के लिए डब्ल्यूएचओ की रणनीति से काफी आगे है। हमने संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राप्त करने के लिए इन पद्धतियों को प्रभावी ढंग से एकीकृत किया है। वर्तमान में आयुर्वेद को दुनिया भर के 30 से अधिक देशों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसकी स्वीकृति तेजी से बढ़ रही है। आयुर्वेद उत्पादों को दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और प्रयासों के तहत, भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अब दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है और इसी विश्वास ने डब्ल्यूएचओ और आयुष मंत्रालय को गुजरात  के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के लिए 25 मार्च, 2022 को जिनेवा में एक मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया है। यह पारंपरिक चिकित्सा का पहला और एकमात्र वैश्विक केंद्र है और यह वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उभरेगा और इससे पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

स्वास्थ्य सेवा में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए, श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, भारत ने आयुर्वेद और अन्य आयुष पद्धतियों के व्यापक स्तर पर उपयोग के माध्यम से कोविड-19 को कम करने की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किया था। आयुर्वेद पर बहु-केंद्रित नैदानिक ​​जांच सहित 140 से अधिक शोध अध्ययन उत्कृष्ट परिणामों के साथ किए गए हैं। आयुष मंत्रालय द्वारा विकसित एक फॉर्मूलेशन आयुष 64 जैसी दवाओं का व्यापक रूप से कोविड रुग्णता में उपयोग किया गया है और यह मैक्सिको की जनता के लिए भी एक वरदान के रूप में कार्य कर सकती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत और मैक्सिको के बीच घनिष्ठ संबंधों को ध्यान में रखते हुए, वह पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय, मैक्सिको और आयुष मंत्रालय के बीच देश-स्तरीय समझौता ज्ञापन का प्रस्ताव रखना चाहते हैं। दोनों देशों के सहयोगात्मक प्रयास से नागरिकों की सहायता की जा सकते हैं और स्वास्थ्य का एक नया युग लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत उन छात्रों को भी छात्रवृत्ति प्रदान करता है जो देश में पारंपरिक चिकित्सा का अध्ययन करना चाहते हैं। शैक्षणिक संस्थानों के बीच समझौता ज्ञापन दोनों देशों के लोगों के लाभ के लिए ज्ञान की विरासत को आगे बढ़ाएगा। भारत पारंपरिक चिकित्सा में अपने लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करने में मैक्सिको की हमेशा सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्रीय मंत्री ने 22 से 24 अप्रैल, 2022 तक गुजरात में होने वाले आगामी वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन के लिए मैक्सिको के माननीय विदेश मंत्री को अपना निमंत्रण भी दिया।

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