मोबाइल कनेक्शन की तरह जल्द ही बदल सकते है बिजली कनेक्शन

न्यूज़ डेस्क : जल्द ही आप मोबाइल कनेक्शन की तरह ही बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी को भी बदल सकेंगे। उपभोक्ताओं के पास कई कंपनियों से बिजली खरीदने का विकल्प उपलब्ध होगा। इसके लिए केंद्र ने राज्यो को एक क्षेत्र में चार-पांच कंपनियों को वितरण लाइसेंस देने की पहल शुरू कर दी है। साथ ही केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वह एक साल के अंदर कृषि के फीडर को अलग कर लें। केवडिया में राज्यो के विद्युत एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रियो के सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि रिटेल बिज़नेस सरकार का काम नही है। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनी हर क्षेत्र में तीन चार छोटी निजी कंपनी तय करें।

 

महंगी बिजली दर पर केंद्रीय मंत्री ने जताई आपत्ति
वह कंपनी उस क्षेत्र में लोगों को बिजली सप्लाई करे। इससे जहां एक तरफ सरकार के नुकसान में कमी आएगी वहीं उपभोक्ताओं के पास भी बिजली आपूर्तिकर्ता को बदलने का विकल्प होगा। केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने बिजली की अधिक कीमत पर भी नाराज़गी जताई। आरके सिंह ने कहा कि कुछ राज्यो में बिजली की दर 8 रुपए प्रति यूनिट है। जबकि बिजली वितरण कंपनियां इससे कम दाम पर प्रति यूनिट बिजली खरीदती हैं, उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में कोई निवेशक नहीं आएगा। राज्यों को बिजली दर कम करने पर विचार करना चाहिए।

 

पूरे देश में बिजली के एक दाम पर हो रहा विचार
बैठक में पूरे देश मे बिजली की दर प्रति यूनिट एक समान करने का भी सुझाव आया। इस बारे में बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि वह इस पर विचार कर रहे हैं। अभी कोयला, सौर, पानी और गैस से बनाई जाने वाली बिजली की उत्पादन लागत अलग अलग है। उसे एक जगह पूल कर बिजली उत्पादन की औसत कीमत निकाल सकते है। पर अभी यह सिर्फ प्रस्ताव है। प्रदेशो के विद्युत मंत्रियो के सम्मलेन में उपभोक्ताओं को 24 घण्टे बिजली उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई। सभी को 24 घण्टे बिजली उपलब्ध कराने का जिक्र करते हुए आरके सिंह ने कहा कि नई टैरिफ पालिसी कैबिनेट के पास है। इस पॉलिसी के लागू होंने क्व बाद सभी को गुणवत्ता पूर्ण बिजली उपलब्ध कराना जरूरी है।

 

विभिन्न राज्यों के सरकारी विभाग नहीं चुकाते बिल
बैठक में बिजली का बिल नही चुकाने वाले उपभोक्तओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने पर भी चर्चा हुई। हरियाणा का उदाहरण देते हुए बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि राज्य सरकारों को इस बारे में विचार करना चाहिए। क्योंकि सरकार इसका नुकसान दूसरे उपभोक्ताओं पर नही डाल पाएगी। विभिन्न राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली बनाने वाली कंपनियों के 59 हज़ार करोड़ रुपए बकाया है। ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि इनमें से 47 हज़ार करोड़ राज्यों के सरकारी विभागों पर है। सरकारी विभाग अपना बिल दे दें, तो वितरित कम्पनियों की हालत सुधार जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों के दफ्तर में फ़ौरन प्रीपेड मीटर लगाए जाएं।

 

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