‘आप’ सरकार ने पांच महिला भिखारियों को पकड़ने के लिए खर्च कर दिए एक करोड़, पढ़ें खबर

नई दिल्ली । दिल्ली में भिक्षावृत्ति व्यापार की तरह पैर पसार रही है। जिसमें रेड लाइट एरिया से लेकर गली-मोहल्लों में महिला भिखारी बड़ी संख्या में नजर आती हैं, लेकिन दिल्ली सरकार का समाज कल्याण विभाग तीन साल में पांच महिला भिखारियों को ही पकड़ पाया है। जबकि तीन सालों में विभाग आवंटित बजट में से एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुका है।

आरटीआइ के तहत सामने आई जानकारी

सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत चंद्र भूषण ने यह जानकारी मांगी थी। जिसके तहत यह जानकारी सामने आई है। आरटीआइ के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में विभाग को 56,35,000 रुपये का बजट आवंटित हुआ था, जिसमें से विभाग ने 44,32,121 रुपये खर्च किए। नतीजतन अप्रैल, सितंबर व नवंबर महीने में विभाग ने एक-एक महिला भिखारी को पकड़ा था। वहीं वर्ष 2016 में 42,95,000 रुपये आवंटित हुए थे, जिसमें से विभाग ने 41,23,642 रुपये खर्च किए और विभाग ने इस वर्ष के जुलाई महीने में दो महिला भिखारियों को पकड़ा था। जबकि वर्ष 2017 के लिए विभाग को 64,00000, रुपये का बजट आवंटित हुआ था, लेकिन 46,99,921 रुपये खर्च करने के बाद भी विभाग एक भी महिला भिखारी को पकड़ने में असमर्थ रहा है।

महिला भिखारियों के लिए अलग विंग

आरटीआइ लगाने वाले चंद्र भूषण का कहना है कि दिल्ली में शीला दीक्षित के काल में सरकार ने मुंबई भिखारी अधिनियम की तर्ज पर दिल्ली भिखारी अधिनियम बनाया था। जिसका उद्देश्य भिखारियों को पकड़ कर उनका पुनर्वास सुनिश्चित करना था। इसके लिए महिला भिखारियों के लिए अलग से विंग बनाया गया था। तब से विभाग को बजट तो लगातार आवंटित हो रहा है, लेकिन अप्रैल 2015 के बाद से विभाग महिला भिखारियों को पकड़ने में उदासीन रहा है।

Comments are closed.