डेबिट कार्ड भारत को कैशलेस बनने के लिए प्रेरित करेगा – वीजा

 

भारत, 12 मार्च, 2019. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, हमारे देश में डिजिटल लेनदेन, जैसे कि विभिन्न प्रकार के पेमेंट कार्ड, वॉलेट, मोबाइल बैंकिंग आदि, में पिछले 2 वर्षों में 50ः की वृद्धि हुई है। ई-कामर्स और मोबाइल प्रौद्योगिकी इस बदलाव का पूरक है। भारत में डेबिट कार्ड का उपयोग करने की प्राथमिकता बढ़ गई है। विभिन्न भुगतानों के लिए बड़ी मात्रा में नकदी ले जाने की तुलना में उपभोक्ताओं के लिए गति, सरलता और सुरक्षा अधिक मायने रखने लगी है। देश में डेबिट कार्डों का प्रचलन पिछले दो वर्षों में लगभग 25ः बढ़ा है, जिसके परिणामस्वरूप च्व्ै-आधारित डेबिट कार्ड के उपयोग में दैनिक वृद्धि के साथ-साथ विवेकाधीन खरीद में भी धीरे-धीरे वृद्धि हुई है।

 

भारत और दक्षिण एशिया के लिए वीजा ग्रुप कंट्री मैनेजर, टीआर रामचंद्रन ने डेबिट कार्ड के उपयोग की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “भारतीयों में परम्पराओं तथा आकांक्षाओं का एक अनूठा संयोजन हैं। भारतीय उपभोक्ता अपनी वित्तीय क्षमताओं के अनुरूप खर्च करना पसंद करता है लेकिन कुछ नया प्रयास करने तथा परिवर्तन करने में भी प्रायोगिक है। देश में 950 मिलियन से ज्यादा डेबिट कार्ड का होना और हर एक डेबिट कार्ड के साथ उसकी सुरक्षा, सहजता और सुविधा पर विश्वास जाताना इस बात का प्रतीक है की भुगतान के लिए नगद से डेबिट कार्ड की ओर झुकाव हो रहा है। यह प्रगति धीमी जरूर है पर महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी का ध्यान कार्डधारकों को सहज और परेशानी मुक्त भुगतान अनुभव प्रदान करने पर केंद्रित होना चाहिए। ”

 

2016 में केवल 2 लाख से लेकर अब तक च्व्ै की संख्या 35 लाख हो गई है जिससे, भुगतान के बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार हुआ है, आज ग्राहकों को उनके कार्ड का उपयोग करने के लिए अधिक टचप्वाइंट उपलब्ध हैं। इसने न केवल उनके खरीदारी के अनुभव को सरल बनाया है बल्कि नकदी संभालने की परेशानियों से भी बचाया है। और इसी के साथ, पूरे अर्थव्यवस्था की सुरक्षा को बढ़ाने पर निरंतर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि अधिक से अधिक नागरिक कैशलेस अर्थव्यवस्था की यात्रा में सहभागी हो सके।

 

भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 जनवरी, 2019 से बैंकों को म्डट चिप आधारित डेबिट कार्ड जारी करना अनिवार्य कर दिया है। चिप कार्ड को जब पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर (पिन) के साथ उपयोग किया जाता है, तो ये हमे किसी भी तरह की धोखादड़ी या फिर नकली काड्र्स से बचाता है। एक कार्ड लेनदेन 2 चीजों पर निर्भर करता है – आपके पास क्या है और आप क्या जानते हैं। चिप कार्ड (आपके पास क्या है?) आपकी निजी जानकारी को सुरक्षित रखता है वही पिन (जिसे आप जानते हैं) विशिष्ट रूप से कार्डधारक की पहचान करता है और कार्ड खो जाने या चोरी हो जाने पर उसका दुरुपयोग होने से रोकता है। म्डट चिप कार्ड डेटा को एन्क्रिप्ट करता है और विश्व स्तर पर इसके उपयोग को सक्षम बनता है। और आज वीजा के संपर्क रहित डेबिट कार्ड की उपलब्धता के साथ, उपभोक्ताओं को 2,000 रुपये तक के लेनदेन के लिए व्यापारियों को कार्ड नहीं सौंपना पड़ता जिससे यह डेटा चोरी की सम्भावना को और कम करता है।

 

ऑनलाइन खरीदारी के मामले में, टमतपपिमक इल टपें एक पासवर्ड-संरक्षित प्रमाणीकरण प्रणाली है, जिसे कार्डधारक की पहचान की पुष्टि करने के लिए डिजाइन किया गया है जब वीजा कार्ड का ऑनलाइन उपयोग किया जाता है और जब कार्डधारक कार्ड के पीछे उल्लिखित तीन-अंकीय ब्टट नंबर को सही ढंग से दर्ज करता है, तो यह उसे प्रमाणित करने के लिए कार्डधारक के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक पासवर्ड भेजा जाता है।

 

“जबकि ग्राहक एसएमएस सेवाओं के लिए चयन करके डेबिट कार्ड गतिविधि पर नजर रख सकते हैं, उन्हें कभी भी अपना कार्ड या अपना पिन ध्सीवीवी किसी भी ज्ञात या अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए। यदि कार्ड खो जाता है या चोरी हो जाता है, तो इसकी सूचना तुरंत अपने जारीकर्ता बैंक को देनी चाहिए, ”श्री रामचंद्रन ने कहा।

कार्डधारकों के लिए सुरक्षा को और बढ़ाते हुए, आरबीआई ने हाल ही में टोकनाइजेशन पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। डिजिटल टोकन के साथ उपभोक्ता के कार्ड नंबर को बदल दिया जाता है जिससे इसे हैक करना मुश्किल हो जाता है और यदि हैक हो भी जाता है, तब भी कार्ड का विवरण धोखेबाज के लिए बेकार हो जाता है। सरकार की सक्रिय भागीदारी से, नई पहल से और भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए स्थानांतरित करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर रही है। डेबिट कार्ड उस समय मंजिल हासिल करने में निश्चित व महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

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