देश की सुरक्षा से समझौता नहीं, खटाई में पड़ सकती है सीसीटीवी कैमरे की योजना

नई दिल्ली । विवादों में फंस चुकी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की योजना खटाई में पड़ सकती है। यहां मुख्य पेंच चीन की स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा कैमरे लगाए जाने को लेकर फंस गया है। इसे देश की सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं माना जा रहा है। इस योजना की जांच के लिए उपराज्यपाल द्वारा गठित कमेटी से जुड़े सूत्र साफ कर चुके हैं कि जांच का विषय देश और दिल्ली की सुरक्षा भी है। दोनों ही मामलों में समझौता नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इस योजना को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

लगाई जा सकती है विशेष तरह की चिप 

चीन की स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का मुद्दा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने उठाया है। उनका आरोप है कि दिल्ली सरकार इस कंपनी को सीधे तौर पर लाभ पहुंचा रही है। क्योंकि केजरीवाल सरकार ने पहले भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को काम नहीं दिया। मगर जब चीन की कंपनी बीईएल के साथ जुड़ गई तो उसके बाद बीईएल को काम दे दिया गया। जिसने कैमरे लगाने का काम चीनी कंपनी हिक विजन को सौंप दिया है जो विशेष तरह की चिप लगाकर चीन में बैठकर राष्ट्रीय राजधानी की पल-पल की जानकारी जुटा सकती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़

कांग्रेस इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करार दे रही है। यही वह प्वाइंट है जिसे उपराज्यपाल द्वारा गठित कमेटी गंभीरता से ले रही है। बताया जा रहा है कि गत दिनों कमेटी की हुई पहली बैठक में सीसीटीवी कैमरे की योजना को लेकर देश और दिल्ली की सुरक्षा से जुड़े हर पहलू पर बात हुई है। सीसीटीवी के लिए दुनिया में कौन कौन सी बेहतर तकनीक उपयोग में लाई जा रही है। इस पर भी चर्चा हुई है।

फिर हो सकती है कमेटी की बैठक 

सूत्रों का कहना है कि सोमवार को फिर से कमेटी की बैठक हो सकती है। संभावना है कि गृह विभाग के प्रधान सचिव बैठक में उन स्थानों की सूची मांग सकते हैं जहां कैमरे लगने हैं। इन कैमरों के डाटा को सुरक्षित रखने व समय पर सूचना उपलब्ध करवाने सहित अन्य विषयों पर चर्चा हो सकती है।

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