भारत-अमेरिका रिश्ते- निकटता के बाद भी संबंधों में गतिरोध बरकरार

नई दिल्ली  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब आपस में मिलते है तो लगता है कि दोनों देस एक-दूसरे के हितैषी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बड़े ही जोरदार तरीके से हाथ मिलाते हैं। पिछले साल जब दोनों एक साथ व्हाइट हाउस के लॉन में 27 जून के दिखे तो ये दोनों ही चीजें एक साथ दिखी थी।

दोनों देशों के बीच संबंधों में घनिष्ठता लाने और इस वादे के बाद की इस रिश्ते को नई ऊंचाई तक ले जाया जाएगा, भारत और अमेरिका के बीच संबंध अजीब रहे हैं। ट्रंप प्रशासन के नेशनल सिक्युरिटी स्ट्रेटजी ने भारत को एक उभरती वैश्विक शक्ति करार दिया था। हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप की तरफ से लिए गए संरक्षणवादी उपायों के चलते आर्थिक गतिरोध पैदा हो गया है।

जिसमें स्टील और अल्यूमिनियम पर टैरिफ का बढ़ना है। इसके अलावा, ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध का असर भी दोनों देशों पर पड़ रहा है क्योंकि इसके चलते भारत को ईरान से तेल कटौती में भारी कमी करनी पड़ेगी। ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। इसके साथ ही, लंबे समय से सैन्य हथियारों की खरीद करने वाला भारत का अब रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम्स की खरीद पर अनिश्चितता बन गई है।

साउथ एशिया के एक्सपर्ट मिशेल कुगेलमन ने कहा- हाल के दिनों में बढ़ते तनाव के बावजूद आपसी संबध ठीक रहेंगे। दोनों के बीच काफी विश्वास और मित्रता है। इसलिए, यह ट्रैक से नहीं उतरेगा। नई दिल्ली के दौरे से पहले पूर्व अमेरिकी विदेश रेक्स टिलरसन ने भारत और अमेरिका को टू बुकेंड्स ऑफ स्टेबिलिटी बताया था। रक्षा क्षेत्रों में बढ़ती नजदीकियों के चलते हाल में ही अमेरिका ने हवेई के पैसिफिक कमांड को नया इंडो-पैसिफिक कमांड नाम दिया।

हालांकि, अमेरिका के उस कदम से नई दिल्ली को काफी खुशी हुई थी जब राष्ट्रपति ट्रंप ने 2018 की शुरुआत में ही पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसे झूठा करार दिया। साथ ही, करीब 2 बिलियन की सुरक्षा के नाम पर दी जानेवाली सहायता राशि पर रोक लगा दी। इसके अलावा, वैश्विक वित्त पर नजर रखने वाले संस्थान से कहा कि वह पाकिस्तान को आतंकवाद को वित्तीय पोषण करनेवाले देशों की सूची में डाले।

लेकिन, अमेरिका ने कुछ ऐसे भी कदम उठाएं जिससे नई दिल्ली को असहज स्थिति का सामना करना, जैसे भारतीय कंपनियों को निशाना बनाकर एच-1बी वीज़ा के नियमों में सख्ती लाना। इसके अलावा, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर पेरिस जलवायु समझौते के तहत कार्बन कटौती के लिए करोड़ों डॉलर भारत पर मांगने का भी आरोप लगाया। वह लगातार सार्वजनिक और निजीतौर पर भारत को निशाना बना रहे हैं जिसमें हाल में जी-7 सम्मेलन से पहले का वाकया है। जिसके बाद दोनों देशों के बीच रद्द हुई 2+2 वार्ता है।

Comments are closed.