आजाद लब : सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास क्या संभव है ?– विश्वबंधु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए इस नए नारे में सिर्फ सबका विश्वास एक नया है परंतु यह बड़ा ही महत्वपूर्ण है “सबका विश्वास ” क्योंकि सबका साथ , सबका विकास यह तभी संभव है जब सबका विश्वास एक दूसरे पर हो ,जब तक सब का विश्वास नहीं होगा, तब तक सबका साथ भी नहीं होगा और फिर सबका विकास भी संभव नहीं होगा l इसलिए इस देश में सबका विकास करने के लिए सबका साथ होना जरूरी है और उसके लिए सबका विश्वास होना जरूरी है l

 

देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखे तो भारतीय जनता पार्टी ने बहुत ही जबरदस्त उपस्थिति देश की जनता के मन में दर्ज की है और उन्हें पूर्ण आदेश दिया है कि वह सबका साथ, सबका विकास करें और देश की पूरी जनता का विश्वास मोदी पर है l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह कार्यकाल बहुत ही महत्वपूर्ण होगा क्योंकि उनके कार्यकाल में उनको बाकी जनता के ऊपर अपना भरोसा करवाना होगा जिन्होंने इस बार उनको अपना नेता नहीं चुना और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस बात को अपने संबोधन में कहा कि यह सरकार उनका भी है जिन्होंने वोट दिया है और उनका भी जिन्होंने उनकों वोट नहीं दिया l यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद सबसे पहले संविधान को प्रणाम किया l

 

संविधान को प्रणाम करने का अर्थ होता है- देश के सभी जाति धर्म के लोगों को साथ लेकर चलना,  देश के संविधान को प्रणाम का अर्थ होता है- हर किसी की भावनाओं का ख्याल रखना,  देश के संविधान को प्रणाम करने का मतलब होता है – समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों तक उनके जीवन स्तर को गरीबी से उठाना , संविधान को प्रणाम करने का अर्थ होता है -जनमानस में भरोसा बनाना और उनको साथ लेकर चलना और उनके लिए काम करना , देश के संविधान को प्रणाम करने का अर्थ होता है – सरकार जनता का हो , जनता के द्वारा है और जनता के लिए ही हो l 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावना सबका साथ, सबका विकास और सब का विश्वास की है तो इस देश में खुशहाली का एक नया दौर लाएगी वरना उनके ऊपर जो पुराने हिंदूवादी नेता की छवि है और उनके कार्यकाल में जो मॉब लिंचिंग की घटनाएं होती उससे आगे नहीं आ पाते हैं तो फिर इस जनता ने जो भरोसा उनमें जताया है उस पर शायद फिर जनता एक बार सोचने पर मजबूर हो जाए l

 

परंतु अभी तक के नरेंद्र मोदी के विचारों में और संबोधन में ऐसा झलक रहा है कि इस बार हम नए नरेंद्र मोदी को देखेंगे जिनका वास्ता अभी तक इस देश को हुआ नहीं है और यह इस देश के लिए स्वर्णिम काल का शुरुआत माना जा सकता है l शायद तभी संभव है सबका साथ, सबका विकास और सब का विश्वास और यह देश अभी तक सबके विश्वास से ही टिकी हुई है और इस बार सबका विश्वास नरेंद्र मोदी में है और देश की अपेक्षा है कि इस बार सबका साथ और सबका विकास जरूर होगा क्योंकि सबका विश्वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है l 

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