एंटी प्रॉफिटियरिंग स्क्रीनिंग कमेटी के पास बिल्डरों से जुड़ी शिकायतें ज्यादा

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी का फायदा आम लोगों को पहुंचाने और मुनाफाखोरी रोकने के लिए राज्यों में बने ‘एंटी प्रॉफिटियरिंग स्क्रीनिंग कमेटी’ के तंत्र ने काम करना शुरू कर दिया है। देशभर में अलग-अलग राज्यों में अब तक दर्जनों शिकायतें इन समितियों के पास आ चुकी हैं। खास बात यह है कि जीएसटी की दरें कम होने के बावजूद कीमतें नहीं घटाने की सबसे ज्यादा शिकायतें रेस्तरां और बिल्डरों के खिलाफ आ रही हैं।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में स्क्रीनिंग कमेटियों के पास अब तक करीब 70 शिकायतें आई हैं। इनमें से कुछ शिकायतें जांच के लिए डायरेक्टर जनरल सेफगार्ड को भेजी गई हैं। जो डीलर मुनाफाखोरी कर रहे हैं, उनके खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। अगले कुछ दिनों में सरकार जीएसटी कानून के तहत बनने वाली राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम भी तय कर लेगी। इनके चयन की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है। इसके बाद यह प्राधिकरण मुनाफाखोरी के दोषी पाए जाने वाले डीलरों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने जीएसटी कानून के प्रावधानों के अनुरूप राष्ट्रीय मुनाफाविरोधी प्राधिकरण (नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉारिटी) के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद ही इसके अध्यक्ष और सदस्यों के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई है। इस बीच अलग-अलग राज्यों ने अपने-अपने यहां जीएसटी की दरों में कटौती के अनुरूप कीमतें नहीं घटाने वाले डीलरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए तंत्र को सुदृढ़ बनाना शुरू कर दिया है। मसलन, उत्तर प्रदेश में वाणिज्य कर विभाग ने एक वाट्सएप नंबर जारी किया है जिस पर ग्राहक डीलरों की शिकायत कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के वाणिज्य कर आयुक्त मुकेश मेश्रम का कहना है कि जीएसटी की दरों में कटौती के बाद अगर किसी डीलर ने कीमतें बढ़ाई हैं या दामों में कटौती नहीं की है तो ग्राहक राज्य की स्क्रीनिंग कमेटी के पास इसकी शिकायत कर सकते हैं। राज्य सरकार ने वाट्सएप नंबर जारी किया है। इस पर लोग अपना बिल अपलोड कर सकते हैं।

10 नवंबर को जीएसटी काउंसिल की गुवाहाटी में हुई बैठक में 215 वस्तुओं और रेस्तरां पर जीएसटी की दर में कटौती करने का फैसला किया गया था। हालांकि काउंसिल के इस फैसले के बाद कुछ रेस्तरां ने अपनी कीमतों में बढ़ोतरी की थी। इसके बाद सरकार ने शीर्ष 100 एफएमसीजी कंपनियों और रेस्तरां को पत्र लिखकर जीएसटी की दरों में कटौती के अनुरूप नया एमआरपी (अधिकतम खुदरा कीमत) तय करने का आग्रह किया था।

किस लिए बनाया गया प्राधिकरण:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 16 नवंबर को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन पर मुहर लगायी गयी थी। इस बैठक के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा था कि इस प्राधिकरण की स्थापना इसलिए की जा रही है ताकि जीएसटी की दरों में कटौती का फायदा कम हुई कीमतों के रूप में ग्राहकों को मिले। जीएसटी की दरें घटने के बावजूद अगर किसी वस्तु या सेवा के दाम कम नहीं होते हैं तो यह प्राधिकरण कार्रवाई करेगा।

प्राधिकरण में कौन कौन सदस्य:

सरकार ने यह तय किया था कि भारत सरकार में सचिव स्तरीय वरिष्ठ अधिकारी जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ का प्रमुख होगा जबकि इसमें केंद्र और राज्यों से चार तकनीकी सदस्य होंगे। प्रसाद ने कहा कि जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन के लिए कदम मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को प्रकट करता है। जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ कीमतों में कमी के रूप में ग्राहकों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाएगी।

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