पिता की एक सोच ने बदल दिया वंडर गर्ल जान्ह्वी पूरा जीवन

झज्जर।  महज 13 वर्ष की उम्र में मोटिवेशनल स्पीकर बन चुकी जान्हवी पंवार का मानना है कि वह जो भी हैं अपने पिता की सोच की वजह से। उसके पिता की सोच थी, छोटा बच्चा ज्यादा सीख सकता है और बड़ा कम। इसी सोच ने जान्हवी का जीवन ही बदल दिया।

जान्हवी ने उदाहरण दिया। नर्सरी से लेकर दस जमा दो कक्षा तक बच्चे का बैग बड़ा भारी होता है। बाद में कक्षाएं बढ़ती है तो वजन कम होना शुरू हो जाता है। होना यह चाहिए कि पहले बैग हल्का हो और बाद में भारी। इसका जब मतलब समझ में आया तो परिणाम आपके सामने है।

जान्हवी के मुताबिक बालपन में दिमाग ऐसा होता है जिसमें जो अंकित होता है, वह जीवन पर्यंत दिमाग में दर्ज रहता है। इसलिए चाहिए कि हर बच्चा अपने जीवन का लक्ष्य तय करें।  फिर अपनी पढ़ाई पर फोकस करे और मेहनत से पढ़े। जान्हवी बुधवार को पाटौदा स्थित अपने जीएवी स्कूल में पहुंची थी। अभी वह दिल्ली विश्वविद्यालय से जनसंचार की पढ़ाई कर रही है।

पानीपत के समालखा की रहने वाली जान्हवी ने बताया कि वह किसी एक बंधन में बंधकर नहीं रहना चाहती। यूपीएससी की परीक्षा को उत्तीर्ण करना है। लेकिन आइएएस बनकर ही नहीं रह जाना। अपनी आवाज को देश भर और देश से बाहर पहुंचाने के लिए टीवी एंकर बनेगी। मुफलिसी के दौरा में उसके पिता ने जो संघर्ष किया, उससे प्रेरणा लेते हुए सबको प्रेरित करना चाहती हूं। इसके लिए मोटिवेशनल स्पीकर के साथ-साथ एंकर का काम सशक्त माध्यम साबित हो सकते हैं।

सरोजनी नायडू के जीवन से है प्रभावित

ब्रिटिश, अमेरिकन, फ्रेंच, जापानी आदि भाषाओं में धाराप्रवाह रखने वाली जान्हवी सरोजनी नायडू के जीवन से प्रभावित है। वह जानती है कि वह हमउम्र बच्चों से अलग है। उसका कहना है कि पहले-पहल अजीब लगता था। लेकिन अब लगता है कि ग्रुप में चलने के बजाय अपनी अलग लाइन बनाकर खास किया जाए तो जीवन जीने का आनंद ही कुछ और है।

News Source: jagran.com

Comments are closed.